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Hindi News भारत राष्ट्रीय PFI Leaders: प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, मैनेजर और अरबी के जानकार, इन चार लोगों के बूते खड़ा था पीएफआई

PFI Leaders: प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, मैनेजर और अरबी के जानकार, इन चार लोगों के बूते खड़ा था पीएफआई

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को अब देश में बैन कर दिया गया है। सरकार का आरोप था कि यह संगठन देश के युवाओं को बरगलाने का काम कर रही थी। पूरे देश में इस संगठन पर अब तक 1400 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं।

PFI Top Leaders- India TV Hindi Image Source : INDIA TV PFI Top Leaders

Highlights

  • इन चार लोगों के बूते खड़ा था पीएफआई
  • प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, मैनेजर और अरबी के जानकार
  • चारों लोग हो चुके हैं गिरफ्तार

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को अब देश में बैन कर दिया गया है। सरकार का आरोप था कि यह संगठन देश के युवाओं को बरगलाने का काम कर रही थी। पूरे देश में इस संगठन पर अब तक 1400 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। 22 सितंबर को जब इसके कई ठिकानों पर छापेमारी हुई तो इस संगठन के 45 नेताओं को गिरफ्तार किया गया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की पूरे देश में नफरत की जहर बोने वाला ये संगठन केवल चार लोगों के कंधों पर टिका था।

ये हैं वो चार लोग

इसमें पहला नाम था पी कोया का जो केरल के कोझिकोड में एक सरकारी आर्ट्स कॉलेज में प्रोफेसर है। वहीं दूसरा नाम अब्दुल रहिमन का है जो एक रिटायर्ड लाइब्रेरियन हैं। जबकि तीसरा नाम अनीस अहमद का है जो एरिक्सन कंपनी में ग्लोबल टेक्निकल मैनेजर के रूप में काम कर रहा था। हालांकि, इसे 6 महीने पहले ही नौकरी से निकाल दिया गया था। चौथा नाम है अबु बकर का जो एक अरबी भाषा का शिक्षक है। इन्हीं चार लोगों के कंधों पर पीएफआई खड़ा था और पूरे देश में नफरत के बीज बो रहा था। 

पीएफआई क्या है?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को पीएफआई भी कहा जाता है, जिसका गठन 22 नवंबर, 2006 को केरल के कोझीकोड में हुआ था। तभी से ये संगठन विवादों में घिरा रहा है। देश में जब नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, तब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गृह मंत्रालय से इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसे पीएफआई ने तानाशाही वाला कदम बताया था। 

कैसे हुआ पीएफआई का गठन?

पीएफआई का गठन तीन संगठनों- 'कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी' यानी केडीएफ, तमिलनाडु के मनीथा नीथी पसाराई और नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट को मिलाकर किया गया था। इसकी शाखाएं भारत के विभिन्न प्रांतों में मौजूद हैं। हालांकि बाद में कुछ और संगठन भी पीएफआई में ही शामिल हो गए। जिसमें गोवा का 'सिटिजंस फोरम', राजस्थान की 'कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी', पश्चिम बंगाल की 'नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति', मणिपुर का 'लिलोंग सोशल फोरम' और आंध्र प्रदेश की 'एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस' शामिल हैं।

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