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Hindi News भारत राष्ट्रीय RSS Ban: PFI पर बैन के बाद विपक्षियों ने RSS पर भी उठाए सवाल, जानिए आजादी के बाद से कब-कब लगा संघ पर प्रतिबंध

RSS Ban: PFI पर बैन के बाद विपक्षियों ने RSS पर भी उठाए सवाल, जानिए आजादी के बाद से कब-कब लगा संघ पर प्रतिबंध

RSS Ban: देशभर के पीएफआई ठिकानों पर एकसाथ छापे मारने के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन इस पर बैन लगते ही कई नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कर डाली।

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RSS Ban: सांप्रदायिक सौहार्द्र को खराब करने वाली और मुस्लिम कट्टरपंथ को फैलाने वाली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई को 28 सितंबर को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने बैन कर दिया है। पीएफआई पर टेरर फंडिंग करने और सांप्रदायिक दंगों में शामिल होने का आरोप है। देशभर के पीएफआई ठिकानों पर एकसाथ छापे मारने के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन इस पर बैन लगते ही कई नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कर डाली। इनमें लालू प्रसाद यादव और केरेल के रमेश चेन्नीथाला के नाम शामिल हैं। दरअसल, भारत की आजादी के बाद 1947 से अब तक आरएसएस पर भी पहले 3 बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। वहीं यह निर्णय भी पहले लिया जा चुका था कि सरकारी कर्मचारी आरएसएस में शामिल नहीं हो सकते हैं। कई राज्यों ने तो कई वर्षों तक इस नियम को लागू भी किया। जानिए आजादी से लेकर अब तक 3 बार कब कब आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया। 

हेडगेवार ने 97 साल पहले की थी आरएसएस की स्थापना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज देश में कई सामाजिक कार्यों में जुटा है। प्राकृतिक आपदा हो या कोई और विपत्ति। हमेशा आरएसएस ने समाज के हर तबके के लिए काम किया। इसी उद्देश्य से डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार ने साल 1925 में आरएसएस की स्थापना की थी। इस संगठन को अब तक कुल तीन बार प्रतिबंधित  किया जा चुका है। पहली बार आजादी के वक्त, दूसरी बार 1975 में और तीसरी बार साल 1992 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि बाद में इस पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। 

महात्मा गांधी की हत्या के बाद लगा था बैन

साल 1948 में जब महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। इसके बाद आरएसएस को नफरत और हिंसा फैलाने के आरोप में प्रतिबंधित किया गया था। तब सरदार वल्लभ भाई पटेल केंद्रीय गृहमंत्री हुआ करते थे। 4 फरवरी 1948 को जारी एक आदेश के मुताबिक आरएसएस को प्रतिबंधित किया गया था। एक पत्र में कहा गया कि  ‘आरएसएस के सदस्यों ने अवांछनीय और खतरनाक गतिविधियों में हिस्सा लिया है‘। हालांकि खुद वल्लभ भाई पटेल ने ही 18 महीने के बाद आरएसएस पर लगाए गए बैन को हटा लिया था। तब एक अघोषित शर्त यह रखी गई कि आरएसएस राजनीति से दूर रहेगा। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि इसी के बाद भारतीय जनसंघ की स्थापना की नींव पड़ी और आगे चलकर यही जनसंघ आज की भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के रूप में सामने आई।

1975 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान इमरजेंसी के समय लगा बैन

दूसरी बार, आरएसएस पर बैन साल 1975 में 4 जुलाई को लगा। इससे पहले 25 जून 1975 को इमरजेंसी लागू कर दी गई थी। उस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी। उस समय कांग्रेस सरकार ने देश में आपातकाल लगा दिया था। 1975 में लगाई इस इमरजेंसी के दौरान तमाम नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जो सत्ता का विरोध करने वाले समझे जाते थे। या फिर जिन्होंने इंदिरा गांधी सरकार की कथित तानाशाही का खुलेआम विरोध जताया था। हालांकि इमरजेंसी जब खत्म हो गई, तब 22 मार्च 1977 में आरएसएस पर लगा प्रतिबंध भी वापस ले लिया गया।  

1992 में भी खतरे में आया आरएसएस

1992 का साल, जब विवादित ढांचे को ढहाया गया था। उस समय केंद्र में नरसिंहाराव सरकार थी। कांग्रेस की इस सरकार ने  में गृहमंत्री शंकरराव चव्हाण थे। विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी, बजरंग दल, जमात ए इस्लामी और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 6 दिसंबर को विवादित ढांचा गिराया गया और 10 दिसंबर के दिन आरएसएस पर बैन लगा। फिर 4 जून 1993 को यह प्रतिबंध हटा लिया गया। क्योंकि जस्टिस बाहरी कमिशन ने इसे ‘अनजस्टिफाइड‘ माना था। जस्टिस बाहरी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। इस बात का जिक्र वर्ष 2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद ने एक आर्टिकल में भी किया था।

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