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Hindi News भारत राष्ट्रीय Supreme Court: एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने की कड़ी टिप्पणी, कहा: 'नहीं चाहता कि कोर्ट तारीख पे तारीख वाली बने'

Supreme Court: एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने की कड़ी टिप्पणी, कहा: 'नहीं चाहता कि कोर्ट तारीख पे तारीख वाली बने'

Supreme Court: पीठ ने कहा कि जहां न्यायाधीश मामले की फाइल को ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते हुए आधी रात तक तैयारी करते रहते हैं, वहीं वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं।

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Highlights

  • चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने की टिप्पणी
  • 'हम तारीख पे तारीख वाली धरना बदलना चाहते हैं'
  • 'जज आधी रात तक तैयारी करते हैं और वकील अगली तारीख मांग लेते हैं'

Supreme Court: आपने अक्सर सुना और देखा होगा कि तमाम मामलों में कोर्ट से तारीख पर तारीख मिलती हैं। कई बार महीनों-सालों और दशक हो जाते हैं लेकिन मामले की सुनवाई पूरी नहीं होती है। कल शुक्रवार ओ सुप्रीम कोर्ट में भी कुछ ऐसा ही हुआ लेकिन उसके बाद जज नाराज हो गए। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे तारीख पर तारीख वाली अदालत नहीं चाहते। 

'हम तारीख पे तारीख वाली धरना बदलना चाहते हैं' 

एक मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ उस समय नाराज हो गई जब एक वकील ने एक मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा और कहा कि उसने स्थगन के लिए एक पत्र दिया है। पीठ ने कहा, “हम सुनवाई को स्थगित नहीं करेंगे। अधिक से अधिक, हम सुनवाई टाल सकते हैं, लेकिन आपको इस मामले पर बहस करनी होगी। हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बन जाए। हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं।”

Image Source : file Justice DY Chandrachud

'जज आधी रात तक तैयारी करते हैं और वकील अगली तारीख मांग लेते हैं' 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ‘दामिनी’ फिल्म के एक चर्चित संवाद को दोहराते हुए दीवानी अपील में एक हिंदू पुजारी की ओर से पेश वकील से कहा, "यह शीर्ष अदालत है और हम चाहते हैं कि इस अदालत की प्रतिष्ठा बनी रहे।" पीठ ने कहा कि जहां न्यायाधीश मामले की फाइल को ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते हुए आधी रात तक तैयारी करते रहते हैं, वहीं वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं।

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पीठ ने सुनवाई रोक दी और बाद में, जब बहस करने वाले वकील मामले में पेश हुए, तो पीठ ने अपील में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और पुजारी को उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा। एक अन्य मामले में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक वकील के खिलाफ एक उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया कि उच्च न्यायालय को अदालत कक्ष में अनुशासन बनाए रखना होता है और शीर्ष अदालत के लिए उनके गैर पेशेवर आचरण पर उन टिप्पणियों को हटाना उचित नहीं होगा।

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