A
Hindi News भारत राष्ट्रीय SC On Talaq-E-Hasan:मुस्लिम महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जगाई उम्मीद, तलाक-ए-हसन के खिलाफ याचिकाएं स्वीकार

SC On Talaq-E-Hasan:मुस्लिम महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जगाई उम्मीद, तलाक-ए-हसन के खिलाफ याचिकाएं स्वीकार

SC On Talaq-E-Hasan:सुप्रीम कोर्ट ने देश के लाखों मुस्लिम महिलाओं में उम्मीद की नई किरण जगा दी है। दरअसल उच्चतम न्यायालय ने ‘तलाक-ए-हसन’ और अन्य सभी प्रकार के ‘एकतरफा न्यायेत्तर तलाक’ को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को मंगलवार को स्वीकार कर लिया है।

SC On Talaq-E-Hasan- India TV Hindi Image Source : INDIA TV SC On Talaq-E-Hasan

Highlights

  • तलाक-ए-हसन पर सुनवाई को राजी हुआ सुप्रीम कोर्ट
  • कई मुस्लिम महिलाओं ने दायर की है याचिका
  • तलाक-ए-हसन में पुरुष महीने में तीन बार तलाक बोलकर संबंध कर देते हैं विच्छेद

SC On Talaq-E-Hasan:सुप्रीम कोर्ट ने देश के लाखों मुस्लिम महिलाओं में उम्मीद की नई किरण जगा दी है। दरअसल उच्चतम न्यायालय ने ‘तलाक-ए-हसन’ और अन्य सभी प्रकार के ‘एकतरफा न्यायेत्तर तलाक’ को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को मंगलवार को स्वीकार कर लिया है। इससे पीड़िताओं के खिलाफ वर्षों से होते आ रहे अन्याय से मुक्ति की उम्मीद दिखने लगी है। अब सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले पर सुनवाई करेगा।

इससे पहले केंद्र सरकार तीन तलाक कानून बना चुकी है। तीन तलाक कानून बनने के बाद से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। मगर तलाक-ए-हसन से अभी भी लाखों मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी नर्क बन गई है। मुस्लिम महिलाओं ने एक याचिका दायर करके इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। कई महिलाओं ने इस मामले में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

Image Source : India TvSC On Talaq-E-Hasan
क्या है तलाक-ए-हसन
तलाक-ए-हसन के तहत मुस्लिम समुदाय के पुरुष तीन महीने की अवधि में प्रति माह एक बार ‘तलाक’ बोल कर अपनी बीबी से वैवाहिक संबंध तोड़ सकते हैं। इससे मुस्लिम महिलाओं को भारी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य को चार हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
पीठ ने कहा, ‘‘निजी प्रतिवादी (पति) के वकील उसकी ओर से पेश हुए और यह बात दोहराई कि वह गुजारा भत्ता के मुद्दे पर समझौता करने के लिए सहमत नहीं है। अंतिम सुनवाई के लिए विषय को जनवरी के तीसरे हफ्ते में सूचीबद्ध किया जाए।’’ शीर्ष न्यायालय तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें एक याचिका गाजियाबाद निवासी बेनजीर हिना ने दायर की है। उन्होंने एकतरफा न्यायेत्तर तलाक-ए-हसन का पीड़िता होने का दावा किया है। उन्होंने तलाक के लैंगिक एवं धार्मिक रूप से तटस्थ और सभी नागरिकों के लिए एक समान आधार के वास्ते दिशानिर्देश तैयार करने का केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। कोर्ट अब इस मामले में जनवरी 2023 के तीसरे सप्ताह में सुनवाई करेगा।

Latest India News