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Hindi News भारत राष्ट्रीय UP Ayodhya Temple Progress: इन विशेष पत्थरों से अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्रदक्षिणा पथ पर नहीं फिसलेंगे श्रद्धालुओं के पैर, जानें अन्य खासियत

UP Ayodhya Temple Progress: इन विशेष पत्थरों से अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्रदक्षिणा पथ पर नहीं फिसलेंगे श्रद्धालुओं के पैर, जानें अन्य खासियत

UP Ayodhya Temple Progress: अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें देश भर के नाम इंजीनियरों की एक बड़ी टीम काम कर रही है। मंदिर प्रशासन अभी से इस बात का दावा करता आ रहा है कि इसे बनाने में अत्याधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

Ayodhya Temple- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Ayodhya Temple

Highlights

  • अयोध्या में श्रीराम मंदिर का 40 फीसद निर्माण पूरा
  • अयोध्या में बनाया जा रहा एक किलोमीटर लंबा प्रदक्षिणा पथ
  • प्रदक्षिणा पथ पर लगाए जा रहे पैर न फिसलने देने वाले पत्थर

UP Ayodhya Temple Progress: अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें देश भर के नाम इंजीनियरों की एक बड़ी टीम काम कर रही है। मंदिर प्रशासन अभी से इस बात का दावा करता आ रहा है कि इसे बनाने में ऐसी अत्याधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे कि यह आने वाले हजार वर्षों से भी अधिक समय तक सलामत रहेगा। जमीन से 150 फिट से भी ज्यादा गहराई तक में बनाया जा रहा इसका बेस भी इसी उच्च तकनीकि और मजबूती का प्रमाण है। फिर बात चाहे श्रीराम मंदिर परिक्रमा मार्ग की हो या प्रदक्षिणा पथ की.... एक-एक निर्माण में श्रद्धालुओं की सुख-सविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। अब श्रीराम मंदिर प्रदक्षिणा पथ का निर्माण भी शुरू हो गया है। मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से इसे खास बनाने के प्रयास में है। 

एक किलोमीटर लंबे प्रदक्षिणा पथ की यह होगी खासियत
श्रीराम मंदिर प्रदक्षिणा पथ एक किलोमीटर लंबा होगा। इसके प्लिंथ और रिटेनिंग पथ का निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है। अब परकोटा व प्रदक्षिणा पथ का काम तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय का कहना है कि प्रदक्षिणा पथ पर रोजाना एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के गुजरने की संभावना है। इसलिए इसकी मजबूती और फिसलन का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इसमें परकोटा के पत्थर और अन्य विशेष पत्थर मंगवाए जा रहे हैं। यह पत्थर कतई फिसलन भरे नहीं होंगे। ऐसे में इस पर चलने वाले श्रद्धालुओं के पैर भी नहीं फिसलेंगे। इससे उनके गिरकर चोटिल होने की आशंका भी नहीं रहेगी। यह मुक्त आकाशीय मार्ग होगा। इस पर नंगे पांव चलने वाले श्रद्धालुओं को कोई शारीरिक कष्ट नहीं होने पाए, इन सब बातों को ध्यान में रखकर प्रदक्षिणा पथ का निर्माण करवाया जा रहा है। 

मंदिर निर्माण का 40 फीसद काम पूरा
मंदिर प्रशासन समिति ने अब तक श्रीराम मंदिर निर्माण का 40 फीसद कार्य पूरा होने की बात बताई है। अब अगले माह में इस मंदिर के प्लिंथ का कार्य भी पूरा हो जाएगा। इस पूरे मंदिर में इस्तेमाल होने वाली शिलाएं पहले ही गढ़ी जा चुकी हैं। अब इन शिलाओं का मंदिर में जरूरत के अनुसार संयोजन किया जा रहा है। श्रीराम लला के गर्भगृह में पहले ही 40 फीसद तक शिलाओं का संयोजन किया जा चुका है। 

मंदिर में सोने चांदी का होगा भरपूर उपयोग
ट्रस्ट के अनुसार देश भर के श्रद्धालुओं ने भारी मात्रा में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सोने चांदी का दान किया है। इसका मूल्यांकन केंद्र सरकार की संस्था मिंट से कराया जाएगा। अब तक चार क्विंटल से ज्यादा चांदी और लाखों रुपये की कीमत का सोना ट्रस्ट को मिल चुका है। मंदिर में इसका जरूरत के अनुसार उपयोग किया जाएगा। इसके लिए बैठक करके कार्य योजना बनाई जा रही है। 

किसने बनाई श्रीराम मंदिर की डिजाइन
अयोध्या में बन रहे प्रभु श्रीराम मंदिर की मूल डिजाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार ने तैयार किया। यह परिवार 15 पीढ़ियों से दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों की डिजाइन दे चुका है। इसी परिवार ने वर्ष 2020 में अत्याधुनिक जरूरतों के अनुसार इसे कुछ बदलाव के साथ पुनः तैयार किया। इसके अनुसार श्रीराम मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर परिसर में एक रामकथा कुंज, एक प्रार्थना कक्ष, एक वैदिक पाठशाला, एक संत निवास, एक यति निवास व कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं होंगी। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। 

कब शुरू हुआ निर्माण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मार्च 2020 में राममंदिर निर्माण के प्रथम चरण का आगाज किया।  25 मार्च 2020 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भगवान श्रीराम की मूर्ति को एक अस्थाई स्थान पर ले जाया गया। मंदिर के निर्माण स्थल पर बेस की खोदाई की दौरान शिवलिंग, मंदिर के खंभे और टूटी हुई मूर्तियां पाई गईं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने यहां एक ऐसी धारा की पहचान की है, जो मंदिर के नीचे बहती हैं। इसके निर्माण के लिए राजस्थान से 600 हजार क्यूबिक बलुआ पत्थरों को बंसी पर्वत से मंगवाया गया है।

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