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Hindi News भारत राष्ट्रीय लापता पर्वतारोही का नहीं लग पा रहा कोई सुराग, जानें ये तकनीकि जो बर्फ में दबे लोगों का बता सकती है पता

लापता पर्वतारोही का नहीं लग पा रहा कोई सुराग, जानें ये तकनीकि जो बर्फ में दबे लोगों का बता सकती है पता

Mountaineer not be Found frome 9 Days: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में ‘फ्रेंडशिप पीक’ से लौटने के दौरान नौ दिन पहले लापता हुए एक पर्वतारोही की तलाश अभियान में सोमवार को ‘डोगरा स्काउट्स’ भी शामिल हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

हिमालय की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : PTI हिमालय की प्रतीकात्मक फोटो

Mountaineer not be Found frome 9 Days: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में ‘फ्रेंडशिप पीक’ से लौटने के दौरान नौ दिन पहले लापता हुए एक पर्वतारोही की तलाश अभियान में सोमवार को ‘डोगरा स्काउट्स’ भी शामिल हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि शिमला जिले के निवासी सचिन और आशुतोष तथा मनाली निवासी साहिल ने 17 नवंबर को पर्वत की चोटी के लिये चढ़ाई शुरू की थी। मगर आशुतोष और साहिल लापता हो गए हैं।

तबीयत बिगड़ने पर लौट आया था सचिन
अधिकारियों ने बताया कि पर्वत पर ऊंचाई की वजह से तबीयत बिगड़ने के कारण सचिन आधार शिविर लौट आया था, जबकि बाकी दोनों ने अपनी चढ़ाई जारी रखी। आशुतोष 19 नवंबर को जब चोटी से महज 20 मीटर की दूरी पर था तभी वह हिमस्खलन का शिकार हो गया और ढुंडी-अटल सुरंग की ओर गिर गया। अधिकारियों ने बताया कि लापता पर्वतारोही की तलाश के लिए किन्नौर में पूह से ‘डोगरा स्काउट्स’ का एक दल सोमवार को बचाव अभियान में शामिल हुआ। बचाव दल को आशुतोष के सिर्फ हेलमेट, आइस एक्स (कुल्हाड़ी) और हेडलैंप मिले हैं।

अब इस तकनीकि से हो सकेगी खोज
प्रशासन पर्वतारोही की तलाश के लिए रेको/रडार तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। रेको/रडार एक बचाव तकनीक है जिसका उपयोग हिमस्खलन से दबे या बाहर लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिए किया जाता है। स्थानीय प्रशासन द्वारा आठ से अधिक बचाव अभियान चलाने के बाद डोगरा स्काउट्स को बुलाया गया है। ‘अटल बिहारी वाजपेयी माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट’ मनाली से टीम और सेना से तिरंगा टीम अब तक आशुतोष का पता लगाने में नाकाम रही है। हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव आरडी. धीमान ने सर्दी के लिए तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने वाले पर्वतारोहियों की उचित निगरानी की जानी चाहिए। उनके साथ आने वाले ‘गाइड’ प्रशिक्षित होने चाहिए और दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए।

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