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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत की इस नदी में प्रथम विश्व युद्ध की पांच तोपें मिलने से हड़कंप, जानें नौसेना को कैसे मिली कामयाबी?

भारत की इस नदी में प्रथम विश्व युद्ध की पांच तोपें मिलने से हड़कंप, जानें नौसेना को कैसे मिली कामयाबी?

5 Cannons found in Hooghly River Used in First World War: प्रथम विश्वयुद्ध को समाप्त हुए करीब 104 वर्षों का समय हो चुका है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इस विश्वयुद्ध में इस्तेमाल की गई 5 तोपें भारत के कोलकाता स्थित हुगली नदी से बरामद की गई हैं।

तोप की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : PTI तोप की प्रतीकात्मक फोटो

5 Cannons found in Hooghly River Used in First World War: प्रथम विश्वयुद्ध को समाप्त हुए करीब 104 वर्षों का समय हो चुका है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इस विश्वयुद्ध में इस्तेमाल की गई 5 तोपें भारत के कोलकाता स्थित हुगली नदी से बरामद की गई हैं। भारतीय नौसेना ने इन तोपों को हुगली नदी से बरामद करने के बाद इनकी पहचान का दावा किया है। नौसेना ने कोलकाता में हुगली नदी के तट पर पुरानी तोपें ढूंढी है, जो संभवत: प्रथम विश्वयुद्ध के समय की हैं।

नौसेना के बंगाल क्षेत्र मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोलकाता में नदी के तट पर पांच तोपें मिली हैं। ब्रिटिशकाल के इन तोपों में दो का नवीनीकरण किया गया और उन्हें काले, सफेद और लाल रंग से रंगा गया था। इन्हें यहां भारतीय नौसेना के बंगाल क्षेत्र के मुख्यालय आईएनएस नेताजी सुभाष में रखा गया है। कैप्टन जॉयदीप चक्रवर्ती ने बताया कि हुगली के बाएं तट पर एक भूखंड को साफ करने के दौरान उन्हें ये तोपें मिली। उन्होंने कहा, ‘‘ये तोपें शायद प्रथम विश्व युद्ध की हैं।’’ वर्ष 2021 के मध्य में खोजी गई पांच में से चार तोपों को इस साल उस भूखंड से निकाला गया, जो पहले नदी तल का हिस्सा थी।

ब्रिटिश निर्मित हो सकती हैं तोपें
कैप्टन चक्रवर्ती ने कहा कि किद्दरपुर गोदी के पास दाईघाट की जमीन पहले कोलकाता बंदरगाह की थी और वहां कुछ निर्माण कार्य के लिए नौसेना द्वारा इसे वापस ले लिया गया था। जमीन को साफ करते समय मजदूरों को ब्रिटिशकाल की एक तोप दिखी। उन्होंने कहा, ‘‘जमीन को साफ करने के दौरान एक तोप मिली और इसके बाद चार और तोपें मिली।’’ बंगाल क्षेत्र के मुख्य प्रवक्ता, कमांडर सुदीप्तो मोइत्रा ने कहा, चार तोपों को नेवी हाउस लाया गया, जिनमें से दो को वहां रखा गया है। उन्होंने बताया कि इन पर इनके निर्माण का कोई निशान नहीं था, जिससे इनके निर्माता का पता लगाना मुश्किल हो गया। कैप्टन चक्रवर्ती ने कहा कि हो सकता है कि ब्रिटिश युद्धपोत के लिए स्थानीय स्तर पर इनका निर्माण किया गया हो।

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