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Hindi News भारत राष्ट्रीय Vivo India: Vivo का मामला आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि देश की इकोनॉमिक सिस्टम को अस्थिर करने की कोशिश: ED

Vivo India: Vivo का मामला आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि देश की इकोनॉमिक सिस्टम को अस्थिर करने की कोशिश: ED

Vivo India: कोर्ट ने वीवो की एक याचिका पर ED से इस संबंध में जवाब मांगा था। इस याचिका में मनी लांड्रिंग जांच के संबंध में कंपनी के विभिन्न बैंक खातों को कुर्क करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

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Highlights

  • ED ने हलफनामे में किया दावा
  • भारत में टैक्स देने से बचने की कोशिश
  • 62,476 करोड़ रुपये भेजे थे बाहर

Vivo India: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि चीन की स्मार्टफोन कंपनी वीवो का मामला केवल आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने और राष्ट्र की अखंडता तथा संप्रभुता पर भी खतरा पैदा करने का प्रयास है। जांच एजेंसी ने कोर्ट के समक्ष एक हलफनामे में दावा किया कि ED द्वारा जब्त वीवो के बैंक खातों से पता चलता है कि कंपनी मनी लांड्रिंग में शामिल है।

कंपनी मनी लांड्रिंग में है शामिल

ED ने आरोप लगाया कि कंपनी मनी लांड्रिंग के अपराध में शामिल है जो एक जघन्य आर्थिक अपराध है। जस्टिस यशवंत वर्मा के निर्देशों के अनुसरण में दायर हलफनामे में ED की तरफ से यह दावा किया गया है। कोर्ट ने वीवो की एक याचिका पर ED से इस संबंध में जवाब मांगा था। इस याचिका में मनी लांड्रिंग जांच के संबंध में कंपनी के विभिन्न बैंक खातों को कुर्क करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। जांच एजेंसी ने कहा, ‘‘वीवो के जब्त किए गए बैंक खाते स्पष्ट रूप से दर्शाते है कि कंपनी मनी लांड्रिंग में शामिल है।’’ 

इकोनॉमिक सिस्टम को अस्थिर करने की कोशिश

ED ने एक हलफनामे में कहा, ‘‘यह केवल आर्थिक अपराध का मामला नहीं है। इसे देश की इकोनॉमिक सिस्टम को अस्थिर करने और राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता को भी खतरा पैदा करने के प्रयास के रूप में अंजाम दिया गया है।’’ जांच एजेंसी ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा-17 के तहत बैंक खातों की तलाशी और जब्ती या कुर्क करने से पहले कोई नोटिस या सूचना देने की आवश्यकता नहीं है।

गौरतलब है कि ED ने 5 जुलाई को वीवो और उससे संबंधित कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच के सिलसिले में देशभर में कई स्थानों पर छापेमारी की थी।

क्या है मामला

कुछ दिनों पहले ED ने बताया था कि चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो की भारतीय इकाई ने यहां पर टैक्स देने से बचने के लिए 62,476 करोड़ रुपये 'गैरकानूनी' ढंग से चीन भेजे थे। इसके साथ ही एजेंसी ने कई भारतीय कंपनियों एवं कुछ चीनी नागरिकों की संलिप्तता वाले एक धनशोधन गिरोह का खुलासा करने का भी दावा किया। ED ने एक बयान में कहा कि वीवो इंडिया ने भारत में टैक्स देने से बचने के लिए अपने राजस्व का लगभग आधा हिस्सा चीन और कुछ अन्य देशों में भेज दिया। विदेशों में गैरकानूनी ढंग से 62,476 करोड़ रुपये भेजे गए जो कंपनी के कुल कारोबार 1,25,185 करोड़ रुपये का लगभग आधा है।

465 करोड़ रुपये की राशि जब्त

एजेंसी ने कहा कि वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसकी 23 संबद्ध कंपनियों के खिलाफ चलाए गए सघन तलाशी अभियान के बाद उनके बैंकखातों में जमा 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई थी। इसके अलावा 73 लाख रुपये की नकदी और 2 किलोग्राम की सोने की छड़ें भी जब्त की गई थी।  ED ने यह कार्रवाई भारत में 23 कंपनियां बनाने में चीन के 3 नागरिकों के शामिल होने की जानकारी सामने आने के बाद की थी। इनमें से एक चीनी नागरिक की पहचान वीवो के पूर्व निदेशक बिन लाऊ के रूप में हुई है जो अप्रैल 2018 में देश छोड़ कर चला गया था। अन्य दो चीनी नागरिकों ने वर्ष 2021 में भारत छोड़ा था। इन कंपनियों के गठन में नितिन गर्ग नाम के चार्टर्ड अकाउंटेंट ने भी मदद की थी।  ED ने वीवो की एक सहयोगी कंपनी GPICPL के खिलाफ दिल्ली पुलिस की FIR के आधार पर गत 3 फरवरी को अपनी  FIR दर्ज की थी। इस कंपनी और उसके शेयरधारकों पर फर्जी पहचानपत्र लगाने और गलत पता देने का आरोप था।

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