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कौन हैं जस्टिस नागरत्ना, जिन्होंने अपने जजमेंट में कहा- 'नोटबंदी गैरकानूनी थी'

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने अचानक की गई नोटबंदी को गैरकानूनी माना। उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपये के नोटों की पूरी सीरीज को बंद कर देना गंभीर मामला है और सिर्फ एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि कानून के जरिए नोटबंदी की जानी चाहिए थी।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना- India TV Hindi Image Source : ANI जस्टिस बी.वी. नागरत्ना

केंद्र की मोदी सरकार का 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का फैसला सही था, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4-1 से नोटबंदी को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के फैसले की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। पांच जजों की बेंच ने यह फैसला बहुमत के आधार पर सुनाया। इनमें से 4 जजों ने नोटबंदी के समर्थन में फैसला दिया। हालांकि, बेंच में शामिल जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने नोटबंदी को गैर-कानूनी माना है।  

जस्टिस नागरत्ना ने क्या-क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने नोटबंदी पर यह फैसला सुनाया। इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस अब्दुल नजीर कर रहे थे। बेंच में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीआर गवई थे। इनमें जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले पर असहमति जताई। उन्होंने अचानक की गई नोटबंदी को गैरकानूनी माना। उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपये के नोटों की पूरी सीरीज को बंद कर देना गंभीर मामला है और सिर्फ एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि कानून के जरिए नोटबंदी की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के लिए आरबीआई ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया और सिर्फ केंद्र के फैसले को मंजूरी दी। नोटबंदी का प्रस्ताव सरकार की ओर से आया था। RBI से राय मांगी गई थी। RBI अधिनियम की धारा 26 (2) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की राय को किसी भी तरह सिफारिश नहीं माना जा सकता। 

जस्टिस नागरत्ना ने कहा, "नोटबंदी के कानून पर संसद में चर्चा होनी चाहिए थी। इस प्रक्रिया को सिर्फ एक गजट नोटिफिकेशन से नहीं किया जाना चाहिए था। देश के लिए इतने अहम मुद्दे को संसद के सामने रखा जाना चाहिए था। आरबीआई ने जो रिकॉर्ड पेश किए हैं, उसमें केंद्र सरकार की इच्छा के मुताबिक लिखा है। ये दिखाता है कि आरबीआई की ओर से आवेदन या सिफारिश नहीं की गई थी। ये पूरी कवायद 24 घंटे में की गई थी।" उन्होंने कहा कि आरबीआई भी करेंसी की सभी सीरीज को बैन नहीं कर सकता, क्योंकि धारा 26 (2) के तहत किसी भी सीरीज का मतलब सभी सीरीज नहीं है। 

कौन हैं बी.वी. नागरत्ना?

बी.वी. नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। उनका जन्म 30 अक्टूबर 1962 को हुआ था। 1987 में उन्होंने एक एडवोकेट के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। 20 साल तक वकालत करने के बाद 2008 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट में एडीशनल जज बनाया गया। इसके दो साल बाद उन्हें स्थायी जज के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बी.वी. नागरत्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं। वरिष्ठता के लिहाज से देखा जाए तो उन्हें 2027 में यह मौका मिल सकता है। इससे पहले जस्टिस नागरत्ना के पिता ईएस वेंकटरमैया भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। कई मंचों पर पूर्व न्यायाधीश इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि अब देश को महिला मुख्य न्यायाधीश देने का वक्त आ गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि देश की पहली महिजा चीफ जस्टिस बी.वी. नागरत्ना हो सकती हैं।

 

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