A
Hindi News भारत राष्ट्रीय महिला आरक्षण बिल '2026 के बाद ही लागू हो सकेगा', प्रियंका चतुर्वेदी ने बताई ये खास वजह-देखें वीडियो

महिला आरक्षण बिल '2026 के बाद ही लागू हो सकेगा', प्रियंका चतुर्वेदी ने बताई ये खास वजह-देखें वीडियो

संसद के नए भवन में मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, जिसे सराहना मिल रही है। ये विधेयक संसद के दोनों सदन से पास हो भी गया तो यह 2026 के बाद ही लागू हो सकेगा, बताया प्रियंका चतुर्वेदी ने। देखें उन्होंने क्या कहा-

women's reservation bill- India TV Hindi महिला आरक्षण बिल 2026 के बाद लागू होगा

दिल्ली: संसद के नए सदन में सोमवार को विशेष सत्र का आयोजन हुआ और विशेष सत्र के दूसरे दिन और नए संसद भवन में पहली बार पहला बिल महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया। महिला आरक्षण बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नामक विधेयक कहा गया है। इस विधेयक में विधानसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है। यह बिल के दोनों सदन से पास होने के बाद कानून बन जाएगा लेकिन यह अगले परिसीमन अभ्यास के बाद ही लागू होगा, जो 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद लागू किया जा सकता है।

नए संसद भवन के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया, जिसके बाद पक्ष-विपक्ष में सहमति के साथ नोक-झोंक भी हुई। बिल के बारे में शिवसेना यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया कि इसे लेकर अभी खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बिल पास होने के बाद भी अगले कुछ सालों में लागू नहीं हो सकेगा। इसके कानून बनने के बाद भी लंबा इंतजार करना होगा। इस बिल की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी और देश की महिलाओं ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। 

क्या कहा प्रियंका चतुर्वेदी ने, देखें वीडियो

जानिए महिला आरक्षण विधेयक के प्रमुख प्रावधान

विधेयक में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है, जो कोटा राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

कोटे में से एक तिहाई अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा।

पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन किए जाने के बाद सीटों का आरक्षण प्रभावी होगा।

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का चक्रण परिसीमन की प्रत्येक बाद की प्रक्रिया के बाद होगा।

किसी भी दो महिला सांसदों को एक सीट पर चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

विधेयक में ओबीसी श्रेणी की महिलाओं के लिए आरक्षण को बाहर रखा गया है।

सरकार ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है।

प्रस्तावित विधेयक लगभग 27 वर्षों से लंबित था और आखिरी ठोस कार्रवाई 2010 में राज्यसभा में इसका पारित होना था।

Latest India News