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Hindi News भारत राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए महाराष्ट्र में विरोधी विचारधारा वाले दलों ने हाथ मिलाया: अमित शाह

सिर्फ सत्ता के लिए महाराष्ट्र में विरोधी विचारधारा वाले दलों ने हाथ मिलाया: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में लोगों द्वारा दिए गए जनादेश को धता बताकर धुर विरोधी विचारधारा वाले राजनीतिक दल सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए साथ आए हैं।

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में लोगों द्वारा दिए गए जनादेश को धता बताकर धुर विरोधी विचारधारा वाले राजनीतिक दल सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए साथ आए हैं। शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में लोगों ने स्थायी सरकार के लिए मतदान किया और भाजपा व शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन को जनादेश मिला। उन्होंने कहा कि सिर्फ भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए नैतिकता और मूल्यों को ताक पर रखा गया।

शाह ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री पद की पेशकश कर समर्थन लेना खरीद-फरोख्त नहीं है। मैं एक बार फिर सोनिया गांधी और शरद पवार से कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री पद का दावा करें और उसके बाद शिवसेना का समर्थन लें।” मंत्री ने कहा कि भाजपा पर खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगता है जबकि नवगठित शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन ने तो मुख्यमंत्री के पद समेत पूरा अस्तबल ही चुरा लिया।

उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमने शिवसेना को मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया था। यहां तक कि चुनावी रैलियों में भी जब आदित्य और उद्धव ठाकरे मंच पर होते थे हमने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने उस समय विरोध क्यों नहीं किया था?” मंत्री ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश के लोग वोटबैंक की ऐसी राजनीति से भ्रमित नहीं होंगे और वे अब भी भाजपा के साथ हैं।

उन्होंने कहा, “शिवसेना के सभी विधायकों ने हमारे साथ मिलकर चुनाव जीता है। शिवसेना का एक भी ऐसा उम्मीदवार नहीं है जिसने नरेंद्र मोदी के कटआउट न लगाए हों। भाजपा उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्र में मोदी के जितने बड़े कटआउट लगाए थे, उससे भी बड़े कटआउट शिवसेना के उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्र में लगाए थे। क्या देश और महाराष्ट्र के लोग यह नहीं जानते।” शाह ने कहा कि लोगों ने वोट बैंक की राजनीति के बजाय मोदी सरकार की प्रदर्शन आधारित राजनीति को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि लोग अब परिपक्व हो गए हैं और उन्होंने परिवारवाद, धनबल-बाहुबल की राजनीति को खारिज कर दिया है।

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