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नेताओं के विवादित बोल, पहले भी फिसलती रही है जुबान

नई दिल्ली: साल 2005 में बिहार की सत्ता गंवाने वाले लालू प्रसाद यादव इस बार भी चर्चा में है। चर्चा की वजह भी वही पुरानी है, उनके विवादित और तीखे बोल। अमित शाह को पागल,

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नई दिल्ली: साल 2005 में बिहार की सत्ता गंवाने वाले लालू प्रसाद यादव इस बार भी चर्चा में है। चर्चा की वजह भी वही पुरानी है, उनके विवादित और तीखे बोल। अमित शाह को पागल, नरभक्षी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रह्मपिशाच कहने पर चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन में लालू प्रसाद यादव पर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि बिहार चुनाव में इस बार भी तीखे और विवादित बयानों का बोलबाला है, हां यह दीगर बात है कि चुनाव आयोग की तमाम सख्ती और कार्यवाहियों के बाद भी नेताओं की जुबान का यह तीखापन कम होता नहीं दिख रहा। हालांकि ऐसा नहीं कि इस बार के बिहार चुनाव में ही ऐसा हो रहा हैं। पहले भी हमारे नेता ऐसे विवादित बयान देते रहें हैं जिन्होंने हंगामे के साथ चर्चाएं भी बटोरीं। आप भी पढ़िए और समझिए कि हमारे नेता कैसे कैसे विवादित बयान देते रहे हैं। 

साध्वी निरंजन ज्योति-

“जिस तरह मच्छर भगाने के लिए कूड़े-कचरे में आग लगाई जाती है, उसी तरह वोट के आग से बिहार के कूड़े-कचरे को जलाओ, जिससे मच्छर (लालू प्रसाद और नीतीष कुमार) भाग जाएं।(13 अक्टूबर)”

जीतन राम मांझी-

"चुनाव नहीं लड़ने वाले नेताओं की स्थिति उन बांझ महिलाओं के समान है जो प्रसव पीड़ा नहीं जान पातीं।”

थोड़ी बहुत घूस लेने में हर्ज नहीं है। 90 फीसदी पुरुष पराई महिलाओं के साथ घूमते हैं।

अमित शाह-

“जिस बिहार को संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण, पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, चाणक्य और चंद्रगुप्त के नाम से जानने की परंपरा रही है, आज वह चारा चोर लालू के नाम से जाना जाता है।”

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