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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को सूचित किया कि वह ‘राष्ट्र के हित में’ अपनी ‘सेतु समुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट’ के तहत पौराणिक राम सेतु को क्षति नहीं पहुंचाएगा...

Ram Sethu | Via Google Maps- India TV Hindi Ram Sethu | Via Google Maps

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को सूचित किया कि वह ‘राष्ट्र के हित में’ अपनी ‘सेतु समुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट’ के तहत पौराणिक राम सेतु को क्षति नहीं पहुंचाएगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली एक पीठ से केंद्रीय नौवहन मंत्रालय ने अपने एक हलफनामे में कहा कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ दायर याचिका को उनका रुख दर्ज करते हुए अब रद्द किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट का ऐलान यूपीए सरकार के समय 2005 में किया गया था।

जानें, केंद्र सरकार ने हलफनामे में क्या कहा:
मंत्रालय द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘भारत सरकार राष्ट्र के हित में राम सेतु को बिना प्रभावित किए/नुकसान पहुंचाए ‘सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट’ के पहले तय किए एलाइनमेंट के विकल्प खोजने को इच्छुक है।’ केंद्र का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि केंद्र ने पहले दिए निर्देशों का अनुसरण करते हुए जवाब दाखिल की है और अब याचिका खारिज की जा सकती है। स्वामी ने शिप चैनल प्रोजेक्ट के खिलाफ याचिका दायर करते हुए केंद्र को पौराणिक राम सेतु को हाथ न लगाने का निर्देश देने की अपील की थी।

क्यों हो रहा है विरोध:
सेतुसमुद्रम परियोजना का कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और चुनिन्दा हिन्दू धार्मिक समूह लगातार विरोध कर रहे थे। इस परियोजना के तहत मन्नार को पाक स्ट्रेट से जोड़ा जाना था। इसके लिये बड़े पैमाने पर इस मार्ग में समुद्र की रेत निकालने और लाइमस्टोन के समूहों को हटाने की योजना थी। 

क्या है सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट:
यूपीए सरकार के तहत 2005 में शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट में बड़े जहाजों के आने-जाने के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे 2 चैनल बनाए जाने थे। ऐसा होने के बाद जहाजों के आने-जाने में लगने वाला समय 30 घंटे तक कम हो जाएगा। इन दोनों चैनल्स में से एक को राम सेतु, जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, से गुजरना था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 2.5 हजार करोड़ थी, जो कि अब 4 हजार करोड़ तक बढ़ गई है। आपको बता दें कि फिलहाल श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने के चलते जहाजों को लंबे रास्ते से जाना पड़ता है।

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