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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश 'जनता कर्फ्यू' का CAA प्रदर्शनकारियों पर असर नहीं, खतरे में डाल रहीं पूरे प्रदेश की जिंदगी

'जनता कर्फ्यू' का CAA प्रदर्शनकारियों पर असर नहीं, खतरे में डाल रहीं पूरे प्रदेश की जिंदगी

कोरोनावायरस से निपटने के लिए रविवार को भले ही 'जनता कर्फ्यू' लागू है लेकिन इसका असर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के खिलाफ यहां घंटाघर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर बिल्कुल नहीं पड़ रहा है।

<p>lucknow</p>- India TV Hindi lucknow

लखनऊ: कोरोनावायरस से निपटने के लिए रविवार को भले ही 'जनता कर्फ्यू' लागू है लेकिन इसका असर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के खिलाफ यहां घंटाघर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर बिल्कुल नहीं पड़ रहा है। महिलाएं अपने साथ-साथ अन्य लोगों की जिंदगियों को भी खतरे में डाल रही हैं। सीएए वापस लिए जाने की मांग को लेकर घंटाघर पर महिलाएं पिछले तीन महीनों से प्रदर्शन कर रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि कोरोना से बचाव के उपाय किए जा रहे हैं।

शिया धर्म गुरू कल्बे सादिक ने घंटाघर में धरना दे रही महिलाओं से अपील करते हुए कहा, "सभी उलमाओं ने जिस प्रकार से सुझाव दिया है, उसके अनुसार मेरी राय भी यही है, कुछ समय के लिए धरना रोका जाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "हम इसे रद्द करने के लिए नहीं कह रहे, बस इसे मुलतवी कर दें। जब महामारी कम हो जाए, तब इसे शुरू कर सकते हैं।"

हालांकि, अभी तक इस प्रदर्शन में शामिल रही मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने कहा, "इस्लाम ने हमेशा इंसानियत को बचाने का संदेश दिया है। ऐसे में घंटाघर पर महिलाओं को अपना प्रदर्शन समाप्त कर देना चाहिए या फिर सांकेतिक रूप से एक या दो महिलाएं ही वहां पर बैठे।"

सदफ जाफर कहती हैं कि केंद्र सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है। इसका इलाज सिर्फ बचाव है। सदफ जाफर ने कहा, "पूरे देश में जरूरी चीजों को छोड़कर पूरा देश बंद है, तो घंटाघर पर बैठी महिलाओं को अभी अपनी समाजिक जिम्मेदारी को निभाना चाहिए। प्रदर्शन में महिलाएं एक दूसरे के पास पास बैठी हैं। इससे संक्रमण का अधिक खतरा है। बचाव के साधन उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में हमें इंसानियत के खातिर कुछ दिनों के लिए धरना स्थगित कर देना चाहिए। हालात सामान्य होने पर फिर से धरना दे सकते हैं।"

उधर, लखनऊ के काफी भीड़भाड़ वाले इलाके में '1090 चौराहे' पर आज एक भी व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा। अंबेडकर पार्क जहां लोग सुबह भारी संख्या में मॉर्निंग वॉक करने के लिए आते थे, लेकिन आज कोई भी नहीं आया। चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा है, जो इस बात का परिचायक है कि लोग पूरी तरह से जनता कर्फ्यू का पालन कर रहे हैं।

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