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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Jaya Parvati Vrat 2022: माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए करें जया पार्वती का व्रत, विधि-विधान के साथ पढ़ें कथा

Jaya Parvati Vrat 2022: माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए करें जया पार्वती का व्रत, विधि-विधान के साथ पढ़ें कथा

हिंदू धर्म के अनुसार इस व्रत का काफी महत्व होता है। इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न का वरदान मिलता है। इस खास व्रत के दिन पूजा-पाठ करने के बाद जया पार्वती की कथा जरूर सुननी चाहिए।

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Jaya Parvati Vrat 2022: अषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष से जया पार्वती व्रत शुरू होता है। ये व्रत अगले 5 दिनों तक चलता है। कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन जया पार्वती व्रत का समापन होता है। ये व्रत आम व्रत से काफी कठिन माना जाता है। इस दौरान आपको कई बातों का खास ध्यान रखना होता है। यह व्रत आज यानी 11 जुलाई से शुरू होकर 16 जुलाई तक चलेगा। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। 

हिंदू धर्म के अनुसार इस व्रत का काफी महत्व होता है। इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न का वरदान मिलता है। इस खास व्रत के दिन पूजा-पाठ करने के बाद जया पार्वती की कथा जरूर सुननी चाहिए। 

जया पार्वती की व्रत कथा

जया पार्वती का व्रत कथा के अनुसार एक समय पर एक ब्राह्मण परिवार हुआ करता था। ब्राह्मण का नाम वामन और उसकी पत्नी का नाम सत्या था। दोनों पति-पत्नी धार्मिक और संस्कारी थे। दोनों के दोनों एक अच्छा जीवन गुजार रहे थे। जीवन में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। लेकिन सब कुछ होने के बाद भी दोनों संतान न होने के चलते काफी दुखी रहते थे। 

संतान प्राप्ति के लिए वामन और सत्या भगवान से हमेशा प्रार्थना किया करते थे। एक दिन नारद जी दोनों की पूजा-पाठ को देखते हुए उनके घर पहुंचे। वामन और सत्या ने नारद जी अपनी समस्या का समाधान पूछा। तब नारद जी ने उन्हें बताया कि अपने नगर के वन के दक्षिणी भाग में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करो। तुम्हारी समस्या का सामधान अवश्य होगा। 

नागद जी के जाने के बाद वामन और सत्या ने पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। 5 साल तक दोनों पति-पत्नी ये काम करते रहे। एक तीन वामन पूजा के लिए जंगल में फूल तोड़ रहा था, तभी उसे सांप काट लेता है और वह जंगल में ही गिर जाता है। काफी देर बाद जब सत्या अपने पति की तलाश में जंगल आई तो अपने पति को देख वो बेहद रोने लगी। फिर उसने माता पार्वती को याद किया। ब्राह्माणी की पुकार सुनकर वन देवता और माता पार्वती वहां प्रकट हुए।

माता ने वामन के मुख में अमृत डाला और उसे दोबारा जीवनदान दिया। जब माता पार्वती ने दोनों से प्रसन्न होकर कुछ मांगने को कहा। जिसपर वामन और सत्या ने माता पार्वती से पुत्र की मांग की। माता ने उन्हें जया पार्वती व्रत के बारे में बताया। जिसे करने से वामन और सत्य को पुत्र की प्राप्ति हुई।  इस कथा के अनुसार जो इस व्रत को रखता है, उसे सदा सुहागन का वरदान मिलता है, साथ ही उसके बच्चों का जीवन सुखमय रहता है।

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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