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Hindi News पैसा ऑटो भारतीय सेना से 25 साल बाद हो रही है मारुति जिप्‍सी की विदाई, बड़ी संख्‍या में होगी टाटा सफारी स्‍टॉर्म की नियुक्ति

भारतीय सेना से 25 साल बाद हो रही है मारुति जिप्‍सी की विदाई, बड़ी संख्‍या में होगी टाटा सफारी स्‍टॉर्म की नियुक्ति

साल 1991 में भारतीय सेना का हिस्‍सा बनी मारुति जिप्‍सी 25 साल बाद अब रिटायर हो रही है। सेना के विभिन्न अंगों में फिलहाल 30 हजार से ज्यादा जिप्सी मौजूद हैं।

भारतीय सेना से 25 साल बाद हो रही है मारुति जिप्‍सी की विदाई, बड़ी संख्‍या में होगी टाटा सफारी स्‍टॉर्म की नियुक्ति- India TV Paisa भारतीय सेना से 25 साल बाद हो रही है मारुति जिप्‍सी की विदाई, बड़ी संख्‍या में होगी टाटा सफारी स्‍टॉर्म की नियुक्ति

नई दिल्‍ली। साल 1991 में भारतीय सेना का हिस्‍सा बनी मारुति जिप्‍सी 25 साल बाद अब रिटायर हो रही है। सेना के विभिन्न अंगों में फिलहाल 30 हजार से ज्यादा जिप्सी मौजूद हैं। इनकी जगह टाटा सफारी स्टॉर्म नियुक्‍त की जाएंगी। अब भारतीय सेना के अधिकारी और जवान टाटा सफारी स्टॉर्म की सवारी करेंगे। इंडियन आर्मी ने टाटा मोटर्स को 3,198 टाटा सफारी स्टॉर्म का ऑर्डर दिया है।

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महिंद्रा की स्‍कॉर्पियो भी थी रेस में

  • इसके लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी स्कॉर्पियो के लिए बोली लगाई थी।
  • लेकिन टाटा सफारी स्टॉर्म को महिंद्रा स्कॉर्पियो को पीछे छोड़ दिया।
  • भारतीय सेना ने सबसे पहले साल 2013 में इसके लिए आवेदन मांगा था।
  • जिसके बाद दोनों ही SUV के सेना द्वारा कई टेक्निकल ट्रायल लिए गए।
  • कई ट्रायल के बाद टाटा सफारी स्टॉर्म चुना गया।

तस्‍वीरों में देखिए एंट्री सेगमेंट की कौन सी कार है बेहतर

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ये है सफारी स्‍टॉर्म के स्‍पेसिफिकेशंस

  • सफारी स्टॉर्म के पावर स्पेसिफिकेशन की बात करें तो इस में 2.2 लीटर का 4-सिलेंडर टर्बोचार्ज्ड डीज़ल इंजन दिया गया है, जो 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स से जुड़ा है।
  • यह 4X2 और 4X4 और VX 400 nm वेरिएंट में उपलब्ध है। VX 400 nm वेरिएंट की पावर 156 ps और टॉर्क 400 nm है, बाकी के वेरिएंट्स की पावर 150 ps और टॉर्क 320 nm है।

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इसलिए चुना गया जिप्‍सी का विकल्‍प

  • मारुति जिप्सी साल 1991 में भारतीय सेना का हिस्सा बनी थी।
  • मारुति जिप्सी को उसकी परफॉर्मेंस और लो-कॉस्ट मेंटेनेंस के लिए जाना जाता था।
  • हालांकि, मारुति जिप्सी की माइलेज काफी कम थी और इसकी वजह से दूर-दराज के इलाकों में इस गाड़ी के साथ कई समस्याएं हो जाती थीं।

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