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लाइफ इंश्योरेंस क्लेम आखिर क्यों हो जाता है रिजेक्ट? आप भी तो नहीं करते ये गलतियां!

प्रीमियम के भुगतान में चूक करना लाइफ इंश्योरेंस क्लेम के रिजेक्ट होने की एक बड़ी वजह है। किसी आवेदक द्वारा दी गई मेडिकल जानकारी को वेरिफाई करने के लिए बीमा कंपनियां अक्सर मेडिकल टेस्ट करती हैं।

कुछ मामलों में कई बार इंश्योरेंस क्लेम करने में देरी हो जाती है। - India TV Paisa Image Source : PIXABAY कुछ मामलों में कई बार इंश्योरेंस क्लेम करने में देरी हो जाती है।

लाइफ इंश्योरंस पॉलिसी खुद के और अपनों के लिए आप खरीदते हैं। यह एक अच्छा फैसला है। यह आपको आने वाली अप्रत्याशित घटनाओं और खर्च से बचाता है। बेशक कंपनियां अधिकांश क्लेम को पूरी तरह सेटल करती हैं। लेकिन कई बार कुछ वजहों से यह रिजेक्ट भी हो जाती है। चाहे वह गलत जानकारी, भ्रामक डेटा या किसी दूसरी आपत्ति के आधार पर हो, एक बीमा कंपनी मानदंडों के मुताबिक, जीवन बीमा दावों को अस्वीकार कर सकती है। आइए इसके लिए कुछ जरूरी बातों पर गौर करते हैं।

गलत सूचना देना या डिटेल को नहीं बताना

अगर आप गलत जानकारी देते हैं या जरूरी जानकारी का खुलासा नहीं करते हैं तो बीमा कंपनी आपके दावे को अस्वीकार कर सकती है। होता क्या है कि लोग अक्सर अपनी उम्र, पेशा, आय आदि सहित गलत जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये आपकी पॉलिसी के प्रीमियम और कवरेज का निर्धारण करने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं। आपको भविष्य में किसी भी चिंता से बचने के लिए विवेकपूर्वक सही जानकारी प्रदान करनी चाहिए और बीमा कंपनी द्वारा भरे गए विवरणों को क्रॉस-वेरिफिकेशन भी करना चाहिए।

प्रीमियम पेमेंट में चूक

प्रीमियम के भुगतान में चूक करना लाइफ इंश्योरेंस क्लेम के रिजेक्ट होने की एक बड़ी वजह है। अगर आप अपने बीमा प्रीमियम का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो आप पॉलिसी के कवरेज से लाभ नहीं उठा पाएंगे। बीमा कंपनी यही कारण बताकर सीधे आपके दावे को खारिज कर देगा। पेमेंट के बारे में याद दिलाने के लिए बीमा कंपनियां अक्सर मैसेज, अलर्ट, ईमेल आदि के जरिए सूचित करती हैं। इसलिए, संकट के समय में कवरेज का अधिकतम लाभ उठाने के लिए आपको निश्चित रूप से समय पर भुगतान करने का पालन करना चाहिए।

नॉमिनी का नाम अपडेट नहीं होना

अगर आपने लाइफ इंश्योरंस पॉलिसी ली है तो आपको अपनी बीमा पॉलिसी में नामांकित व्यक्ति यानी नॉमिनी की डिटेल ऐड या अपडेट करना जरूरी है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि नामांकित व्यक्ति का नामकरण स्पष्ट करता है कि पॉलिसी लाभ कौन हासिल करेगा, अगर दुर्भाग्य से पॉलिसीधारक अब वहां नहीं है। अगर आप नॉमिनी डिटेल जोड़ने या अपडेट करने में विफल रहते हैं, तो आपकी बीमा कंपनी आपके उत्तराधिकारी को राशि ट्रांसफर कर देगी। ग्रो के मुताबिक, अगर यह तय नहीं होता है तो दावेदार को पॉलिसीधारक के साथ अपने रिश्ते को साबित करने के लिए कई चरणों से गुजरना होगा।

मेडिकल टेस्ट लेने में विफलता

किसी आवेदक द्वारा दी गई मेडिकल जानकारी को वेरिफाई करने के लिए बीमा कंपनियां अक्सर मेडिकल टेस्ट करती हैं। यह खासतौर से हाई रिस्क वाले कवरेज में किया जाता है। आपको निश्चित रूप से सभी परीक्षणों से गुजरना चाहिए क्योंकि आप पहले से मौजूद किसी भी बीमारी का पता लगा सकते हैं, और भविष्य में जरूरत पड़ने पर कंपनी इसके लिए कवरेज प्रदान कर सकती है। अगर आप टेस्ट से इनकार करते हैं तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपका दावा खारिज कर दिया जाएगा। कंपनी यह कह सकती है कि आपको पहले से कोई बीमारी है।

क्लेम करने में देरी करना

कुछ मामलों में कई बार इंश्योरेंस क्लेम करने में देरी हो जाती है। हालांकि ज्यादातर लोग समय के अन्दर ही क्लेम करते हैं। हालांकि बीमा नियामक आईआरडीएआई ने बीमां कंपनियों से कहा है कि देरी के आधार पर दावे को खारिज न करें, बल्कि आपको हमेशा विधिवत दावा करना चाहिए। अगर आप क्लेम देरी से करेंगे तो पेमेंट में भी कंपनी की तरफ से देरी हो सकती है।

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