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पाकिस्तान के पूर्व कप्तान हसन सरदार ने माना, तोक्यो ओलंपिक में पदक का दावेदार है भारतीय हॉकी टीम

पूर्व कप्तान हसन सरदार ने कहा कि मानसिक दृढता और आक्रामकता से खेलने पर मनप्रीत सिंह की टीम तोक्यो ओलंपिक में पदक जीत सकती है। 

Pakistan, Hasan Sardar, Indian hockey team, Tokyo Olympics- India TV Hindi Image Source : TWITTER/HOCKEY INDIA Indian Hockey team  

अपनी टीम की गैर मौजूदगी में भारतीय हॉकी टीम का समर्थन करने वाले पाकिस्तान के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता पूर्व कप्तान हसन सरदार ने कहा कि मानसिक दृढता और आक्रामकता से खेलने पर मनप्रीत सिंह की टीम तोक्यो ओलंपिक में पदक जीत सकती है। 

सरदार ने कराची से भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा ,‘‘ चूंकि पाकिस्तानी हॉकी टीम तोक्यो ओलंपिक में नहीं है तो मैं भारतीय टीम का समर्थन करूंगा। पिछले दो तीन साल में भारत ने जबर्दस्त हॉकी खेलकर दुनिया की शीर्ष टीमों को हराया है और मुझे लगता है कि तोक्यो में खिताब की प्रबल दावेदारों में होगी।’’ 

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उन्होंने भारतीय टीम की फिटनेस की तारीफ करते हुए कहा कि इस मामले में वे दुनिया की शीर्ष टीमों के समकक्ष हैं। उन्होंने कहा ,‘‘ भारत के पूर्व मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमेंस कुछ समय तक पाकिस्तानी टीम के साथ भी जुड़े थे। उनका मानना था कि फिटनेस के मामले में भारत अब नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया , बेल्जियम जैसी शीर्ष टीमों से कम नहीं है। इसका असर उनके प्रदर्शन पर भी देखने को मिला।’’ 

बड़े टूर्नामेंटों और मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिये मशहूर रहे सरदार ने भारतीय टीम को मानसिक मजबूती और आक्रामकता के साथ खेलने की सलाह देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी कामयाबी का भी यही राज था। उन्होंने कहा ,‘‘ भारतीय स्टिक वर्क और फिटनेस में किसी से कम नहीं। कई बार मानसिक दृढता की कमी दिखती है लेकिन ओलंपिक के स्तर पर इससे पार पाना होगा। कोरोना काल में तो यह और भी जरूरी है और जरूरत पड़ने पर खेल मनोवैज्ञानिक की सेवा ली जा सकती है।’’ 

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दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सेंटर फॉरवर्ड में शुमार सरदार की कप्तानी में पाकिस्तानी हॉकी टीम ने आखिरी बार लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पीला तमगा जीता था। वह 1982 मुंबई विश्व कप में पाकिस्तान की खिताबी जीत के भी सूत्रधार थे। उन्होंने 1984 ओलंपिक में सर्वाधिक 11 और विश्व कप में सर्वाधिक 10 गोल दागे थे। लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पाकिस्तान की जीत के सूत्रधार रहे सरदार ने कहा कि वह मानसिक रूप से पूरी तैयारी के साथ उतरे थे कि उन्हें कम से कम दस गोल करने हैं जो उन्होंने किये। 

उन्होंने कहा ,‘‘ हमने माहौल ऐसा बना दिया था कि टीम का हर सदस्य एक दूसरे को प्रेरित करता रहता था। हमारे कोच जब भी मुझे देखते तो दोनों हाथ की मुट्ठी खोलकर दस का इशारा करते यानी मुझे याद दिलाते कि दस गोल करने हैं।’’ उन्होंने बताया ,‘‘ सेमीफाइनल में हमें आस्ट्रेलिया से खेलना था और मुझे याद है कि उनके कोच ने मैच से एक दिन पहले हमें चुनौती दी कि उन्हें हराने के लिये हमें कम से कम तीन गोल करने होंगे। तीन तो नहीं लेकिन मैने एक गोल किया और आस्ट्रेलिया हमारे खिलाफ एक भी गोल नहीं कर सका।’ 

सरदार ने कहा ,‘‘ यही मजबूती भारत को दिखानी होगी और इसके साथ आक्रामकता भी बनाये रखनी होगी। उन्हें इस सोच के साथ उतरना होगा कि हर हालत में जीतना है और इन सभी टीमों को वे हाल ही में हरा चुके हैं।’’ भारत ने ओलंपिक में आखिरी बार 1980 मॉस्को में स्वर्ण पदक जीता था जबकि पाकिस्तान ने 1984 में ओलंपिक खिताब अपने नाम किया। उसके बाद से जर्मनी तीन बार, नीदरलैंड दो बार, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना एक एक बार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। 

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पाकिस्तान ने 1992 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। ओलंपिक में स्वर्णिम इतिहास के बावजूद पिछले कई साल में दोनों टीमों की नाकामी के बारे में पूछने पर सरदार ने कहा ,‘‘ यह अफसोसनाक है कि हम इतने साल से पदक नहीं जीत पाये। हमारे दौर में पाकिस्तान के पास शहनाज शेख, सामिउल्लाह खान, हनीफ खान, कलीमुल्लाह खान जैसे खिलाड़ी थे। इस पीढी ने हमारी टीम को जीतते नहीं देखा तो नये बच्चे कैसे हॉकी खेलने के लिये प्रेरित होंगे और प्रतिभायें कहां से निकलेंगी।’’