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तेलंगाना: रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी हो सकती हैं शामिल, नई सरकार का गठन कल

तेलंगाना में बृहस्पतिवार को नई सरकार का गठन हो जाएगा। राज्य में पहली बार कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी भी शामिल हो सकती हैं।

अनुमुला रेवंत रेड्डी ने की सोनिया गांधी से मुलाकात- India TV Hindi Image Source : ANI अनुमुला रेवंत रेड्डी ने की सोनिया गांधी से मुलाकात

हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के बाद बृहस्पतिवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। 56 वर्षीय कांग्रेस नेता का शपथ ग्रहण समारोह बृहस्पतिवार को दोपहर एक बजकर चार मिनट पर हैदराबाद के विशाल एलबी स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। राज्य की मुख्य सचिव ए.शांति कुमारी ने शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और बुधवार को एलबी स्टेडियम का भी दौरा किया। 

दिल्ली में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात की

रेवंत रेड्डी के साथ कितने विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। इस बीच रेड्डी ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। इस दौरान कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने रेवंत रेड्डी को बधाई दी।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकती हैं सोनिया गांधी

सोनिया गांधी बृहस्पतिवार को हैदराबाद में रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकती हैं। सोनिया गांधी से संसद के बाहर संवाददाताओं ने जब इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'शायद'। रेड्डी के शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई सीनियर नेता शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंच सकते हैं।

कांग्रेस ने जीती है 64 सीटें 

कांग्रेस आलाकमान ने मंगलवार को रेवंत रेड्डी को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता और तेलंगाना का अगला मुख्यमंत्री नामित किया। हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हराया और कुल 119 सीटों में से 64 सीटें जीतीं। पार्टी की चुनाव पूर्व सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को एक सीट मिली। सत्तारूढ़ बीआरएस को 39 सीटों से संतोष करना पड़ा। मुख्यमंत्री दो जगहों से चुनाव लड़ रहे थे जहां उन्हें दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।