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Hindi News उत्तर प्रदेश यूपी में मोबाइल टावर हुआ चोरी, लेकिन पुलिस ने टावर कंपनी पर ही क्यों कर दी कार्रवाई

यूपी में मोबाइल टावर हुआ चोरी, लेकिन पुलिस ने टावर कंपनी पर ही क्यों कर दी कार्रवाई

यूपी के के कौशाम्बी जिले में एक मोबाइल टावर चोरी हो गया। इसके बाद कंपनी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की तो मामला उल्टा पड़ गया। पता चला कि टावर कंपनी ने खुद ही टावर खुलावाया था और बाद में थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी।

tower chori- India TV Hindi Image Source : INDIA TV कौशाम्बी जिले में मोबाइल टावर चोरी की घटना

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में मोबाइल टावर चोरी होने का एक अनोखा मामला सामने आया है। टावर लगाने वाली कंपनी ने घटना सामने आने के 9 महीने बाद ऑनलाइन तहरीर देकर टावर चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। वहीं इस मामले में पुलिस ने खुलासा करते हुए टावर लगाने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जमीन मालिक से विवाद होने के बाद कंपनी ने खुद टावर खुलवा लिया था और बाद में चोरी होने का ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में कंपनी के खिलाफ 182 की कार्रवाई की जा रही है।

कंपनी के इंजीनियर ने दर्ज कराया चोरी का मामला

ये मामला सन्दीपन घाट थाना क्षेत्र के उजिहानी गांव का है। जहां उजिहानी खालसा गांव मे उबैद उल्ला पुत्र मजीद उल्ला की जमीन पर टावर लगाया गया था। प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज थाना के रस्तीपुर के रहने वाले राजेश यादव पुत्र स्व भगवती दीन यादव GTL इंफ्रास्टेक्चर लिमिटेड कंपनी में बतौर टेक्निसियन तैनात है। कंपनी के मुताबिक उनके टेक्नीशियन राजेश यादव ने 31 मार्च 2023 को विजिट किया तो जिस जमीन पर टावर लगा था, वहां से टावर का पूरा स्ट्रक्चर और सेटअप गायब मिला। जमीन के मालिक से पूछताछ करने पर उन्होंने मामले में जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद कंपनी के इंजीनियर ने चोरी की घटना सामने आने के 9 महीने बाद 28 नवम्बर को अज्ञात चोरों के खिलाफ ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराया। 

कंपनी ने खुद ही खुलवाया था टावर

बताया जा रहा है कि इस कंपनी ने कौशाम्बी जिले के अलग-अलग क्षेत्र में दर्जन भर से अधिक टावर लगाए थे। जिसमें से एक पूरे टावर को ही चोरों ने गायब कर दिया। पुलिस ने मुक़द्दमे के आधार पर जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पुलिस के मुताबिक टावर लगाने वाली कंपनी ने 2010 में जमीन मालिक उबैदुल्लाह के साथ 10 साल का कॉन्ट्रेक्ट साइन करने के बाद टावर लगवाया था। 10 साल पूरे हो जाने के बाद कंपनी पहले से कम रेट देकर टावर उसी स्थान पर लगे रहना देना चाहती थी लेकिन जमीन मालिक ने इस बात से इनकार कर दिया और किराए की धनराशि बढ़ाने की बात कही। इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने जनवरी 2023 में लिखा-पढ़ी कर टावर वहां से खुलवा लिया और बाद में 31 मार्च की घटना दिखाकर बिना थाने में आए ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कर दिया। 

कंपनी के खिलाफ पुलिस कर रही कार्रवाई 

अब पुलिस इस मामले में जमीन मालिक से टावर खुलवाते समय कंपनी द्वारा दिए गए कागजात को लेकर पूरे मामले में कंपनी के खिलाफ 182 की कार्रवाई शुरू कर दिया है। वहीं तहरीर देने वाले राजेश यादव ने तहरीर में बताया कि टावर व पूरे सेटअप की कीमत करीब 8,52,025 रुपये एवं WDV की कीमत 4,26,818 रुपये बताई जा रही है। राजेश यादव के मुताबिक उन्होने टावर के लापता होने की सूचना कंपनी को प्रेषित की। कार्यवाही होने में 9 माह का समय लग गया। पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक प्रकरण थाना संदीपन घाट का है। यह घटना पूरी तरीके से झूठी है। इस पूरे मामले में जो विधि करवाई है और गैंग में जो भी लोग सम्मिलित हैं उनको चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। 

टावर कंपनी ने दी सफाई

वहीं टावर कंपनी का कहना है कि उनका पूरा टावर चला गया है और यह मार्च 2023 की घटना है। इसीलिए उन्होंने ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराया थाने में नहीं आए। यह पूरी रिसीविंग मिल गई है। इसमें विवेचना करके जो भी सही तथ्य हैं। उन्हें सामने लाया जाएगा। आगे जिन लोगों ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है उनके खिलाफ 182 की कार्रवाई की जाएगी।

(रिपोर्ट- अयमान अहमद, कौशांबी)

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