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ऑस्ट्रेलिया: विरोध प्रदर्शनों के बीच कैप्टन कुक के पुतले के साथ छेड़छाड़

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में विरोध प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश खोजकर्ता कैप्टन कुक के पुतले के साथ छेड़छाड़ की गई...

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कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में विरोध प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश खोजकर्ता कैप्टन कुक के पुतले के साथ छेड़छाड़ की गई। ऑस्ट्रेलिया डे से एक दिन पहले हुई इस घटना में गुरुवार को सेंट किल्डा में पुतले को गुलाबी रंग से रंगा हुआ पाया गया। पुतले के पैरों के नीचे एबोरिजिनल झंडे के साथ 'हमें नरसंहार याद है' लिखा हुआ था। वहीं, मेलबर्न चिड़ियाघर के पास खोजकर्ता रॉबर्ट ओहारा बुर्क और विलियम जॉन विल्स के पुतलों के साथ भी छेड़छाड़ की गई। उनके पुतले पर हरे रंग से 'चोरी हो गया' लिखा था।

ऑस्ट्रेलिया के संघीय नागरिकता मंत्री एलन ट्यूज ने कैप्टन कुक के पुतले से छेड़खानी की घटना को 'अपमानजनक' बताया। उन्होंने कहा, ‘ये गुंडे हमारी राष्ट्रीय विरासत को नुकसान पहुंचा रहे है और इनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। मैं चाहता हूं कि ऑस्ट्रेलिया डे हमारे देश के लिए एक महान एकीकरण दिवस बने। यह कई दशकों से चला आ रहा है।’ पुलिस ने कहा कि वह मामले की जांच कर रही है लेकिन अभी तक किसी संदिग्ध की पहचान नहीं हो पाई है।

ऑस्ट्रेलिया डे पर क्यों होता है विवाद?
हर साल 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया डे मनाया जाता है। 26 जनवरी 1788 को ब्रिटेन का जहाज पहली बार सिडनी कोव में पहुंचा था। कैप्टन कुक ने 1770 में ही ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी किनारे की खोज कर ली थी। ऑस्ट्रेलिया के कई मूल निवासियों का मानना है कि इस पर्व को किसी और दिन मनाना चाहिए क्योंकि 26 जनवरी को इसे मनाने से जख्म ताजा हो जाते हैं। आपको बता दें कि मूल ऑस्ट्रेलियाइयों पर ब्रिटिशर्स ने काफी अत्याचार किए थे जिसे 'नरसंहार' तक की संज्ञा दी गई।

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