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आखिर क्यों सीरिया में रसायनिक हमलों की जांच ना करने के लिए रूस ने इस्तेमाल किया वीटो पावर

रूस ने सीरिया में रासायनिक हथियारों से हो रहे हमलों से जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में की जा रही जांच की अवधि बढ़ाने से रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का इस्तेमाल किया है।

Russia has used veto power to not investigate chemical...- India TV Hindi Russia has used veto power to not investigate chemical attacks in Syria

संयुक्त राष्ट्र: रूस ने सीरिया में रासायनिक हथियारों से हो रहे हमलों से जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में की जा रही जांच की अवधि बढ़ाने से रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का इस्तेमाल किया है। अमेरिका, उसके सहयोगियों और मानवाधिकार समूहों ने ‘‘ज्वाइंट इनवेस्टिगेटिव मैकेनिज्म’’ (जेआईएम) के प्रयासों पर रोक लगाने के लिए रूस द्वारा 10वीं बार वीटो के इस्तेमाल को एक बड़ा झटका करार दिया है। इस अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 11 ने मत दिया था, जिसपर रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर रोक लगा दी। मिस्र और चीन इस दौरान अनुपस्थित रहे और बोलीविया ने भी रूस के साथ इसके खिलाफ मत दिया। (सात महिलाओं के बयानों के बाद भी नहीं चलेगा बुश पर मुकदमा)

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘रूस ने ज्वाइंट इनवेस्टिगेटिव मैकेनिज्म’’ की हत्या कर दी, जिसे इस परिषद का भारी समर्थन प्राप्त है।’’ निक्की ने कहा, ‘‘हमलावरों की पहचान करने की हमारी क्षमता को नष्ट कर, रूस ने भविष्य में किसी भी हमले को रोकने की हमारी क्षमता को बाधित कर दिया है। रूस के आज के इस कदम से असद और आईएसआईएस को रसायनिक हमलों को लेकर किसी चेतावनी का डर नहीं रहेगा। जो भी यह सुन रहा है उसे यह संदेश साफ पहुंच गया है , वस्तुत: रूस को सीरिया में हो रहे रसायनिक हमले स्वीकार हैं।’’ रूस ने अपने सहयोगी देश सीरिया को निशाना बनाने वाले परिषद के कदमों को रोकने के लिए 10वीं बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। ‘जेआईएम’ पैनल की जांच को एक वर्ष के कार्यविस्तार की अनुमति देने के लिए रूस और अमेरिका ने परस्पर विरोधी मसौदे प्रस्ताव दायर किए थे, लेकिन रूस ने अंतिम क्षण में अपना प्रस्ताव वापस ले लिया था।

प्रस्ताव को परिषद में पारित करने के लिए नौ मतों की आवश्यकता थी, लेकिन पांच देश रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका अपने वीटो का इस्तेमाल कर इसे पारित होने से रोक सकते थे। रूस ने जेआईएम की ताजा रिपोर्ट के बाद उसकी कड़ी निंदा की थी। रिपोर्ट में सीरियाई वायु सेना पर विपक्षी कब्जे वाले गांव खान शेखहुन पर सेरिन गैस हमला करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें सैकड़ों लोगों मारे गए थे। इसबीच एएफपी को मिले मसौदा प्रस्ताव के अनुसार जापान ने सीरिया में रसायनिक हमलों की जांच और 30 दिन बढ़ाने की मांग की थी। रूस के वीटो का इस्तेमाल किए जाने के बाद यह अपील की गई। मसौदा उपायों के जरिए जीआईएम की जांच अवधि 30 दिन के लिए बढ़ सकती है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को 20 दिन के भीतर पैनल की ‘‘संरचना एवं कार्यप्रणाली के लिए प्रस्ताव’’ पेश करना होगा। जापान ने इसके लिए बृहस्पतिवार को मतदान की अपील की लेकिन राजनयिकों ने कहा कि परिषद के आज सुबह इन उपायों पर विचार करने की अधिक संभावना है।

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