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सऊदी अरब से सामने आया खौफनाक VIDEO, शेल्टर होम में जंजीरों और तालों से बांधकर रखी जा रहीं लड़कियां, यहां देखें

Saudi Arabia Shelter Homes: मई में आई एक रिपोर्ट में आयशा अल्नीजिबानी नामक महिला का जिक्र किया गया, जिसे उसके परिवार वालों में अनाथालय में छोड़ दिया था। 22 साल की आयशा ने राजधानी रियाद की सड़कों पर घूमते हुए वीडियो बनाकर अपनी कहानी सुनाई।

Saudi Arabia Women Shelter Homes- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Saudi Arabia Women Shelter Homes

Highlights

  • जेल बने सऊदी अरब के शेल्टर होम
  • कैद करके रखी जाती हैं महिलाएं
  • सऊदी अरब में महिलाओं की बुरी हालत

Saudi Arabia Shelter Homes: सऊदी अरब से हाल में ही आया एक वीडियो खूब वायरल हुआ, जो काफी डरावना प्रतीत होता है। इस वीडियो में कुछ आदमी महिलाओं और लड़कियों को जबरन पकड़कर घसीट रहे हैं, कोई उनके बाल खींच रहा है, तो कोई उनके साथ मारपीट कर रहा है। वीडियो में दिखाई दे रहे ये आदमी कोई गुंडे मवाली नहीं बल्कि सऊदी अरब के सुरक्षा अधिकारी और पुलिस अधिकारी हैं। इन्होंने खाकी रंग की वर्दी और सामान्य कपड़े पहने हुए हैं। ये वीडियो एक अनाथालय का है। जो आसिर प्रांत के खामिस मुशायत में स्थित है। वीडियो के वायरल होने के बाद से सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की उन कोशिशों पर सवाल उठ रहे हैं, जिनसे वह महिलाओं की स्थिति ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। 

लेकिन अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर विश्वास किया जाए, तो पता चलता है कि सऊदी अरब में इस तरह के स्थानों में महिलाओं और लड़कियों के साथ गलत व्यवहार होना एक आम बात है। मई में आई एक रिपोर्ट में आयशा अल्नीजिबानी नामक महिला का जिक्र किया गया, जिसे उसके परिवार वालों में अनाथालय में छोड़ दिया था। 22 साल की आयशा ने राजधानी रियाद की सड़कों पर घूमते हुए वीडियो बनाकर अपनी कहानी सुनाई। उसने बताया कि उसे कैद करके रखा जाता था। उसे तालों में चेन से बांधकर रखा जाता। जब उसने अनाथालय की स्थिति को लेकर बात की, तो उसे जेल में डाल दिया गया। 

जेल बन गए हैं शेल्टर होम

इसके बाद उसके ऊपर 10 साल का ट्रैवल बैन लगा दिया गया और सड़क पर छोड़ दिया। आयशा का वीडियो तेजी से वायरल हुआ था, जिसके बाद उसे सऊदी अरब की महिलाओं का काफी समर्थन मिला। विशेषज्ञों ने कहा कि उन्होंने सऊदी अरब की सड़कों पर कभी इस तरह किसी महिला को अपनी कहानी सुनाते नहीं देखा। हालांकि आयशा के वीडियो से दुनिया को इतना जरूर पता चला कि देश के शेल्टर होम में महिलाओं को कैसे रखा जाता है। सऊदी अरब की एक्टिविस्ट और पत्रकार अल-हरीती ने इस मसले पर लंदन स्थित ग्रुप ALQST से बात की। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के शेल्टर होम अब जेल बन गए हैं। 

Image Source : india tvSaudi Arabia Women Shelter Homes

पत्रकार ने कहा कि अगर किसी को यहां प्रताड़ित किया जाता है, तो आपको और ज्यादा सजा मिलेगी। उसने कहा कि ये जगहें नरक हैं और इन्हें शेल्टर होम कहना गलत होगा। सऊदी अरब में कई ऐसे कारण हैं, जहां लड़कियों का सरकारी शेल्टर होम में रहना मजबूरी बन जाता है। महिलाएं और लड़कियां घरों में होने वाली मारपीट से बचने के लिए यहां आती हैं। यहां उनके साथ तमाम तरह के अपराध होते हैं। कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं, जो अपने पुरुष गार्जियन की बात नहीं मानतीं और घर से भागकर यहां आ जाती हैं। यहां उन्हें तब तक रखा जाता है, जह तक वह शादी के लिए हां न कर दें और उनका नया गार्जियन फिक्स न हो जाए। 

महिलाएं आत्महत्या तक करती हैं

सऊदी अरब के अनाथालय और शेल्टर होम अकसर खबरों में बने रहते हैं। यहां कई बार महिलाएं आत्महत्या कर लेती हैं या समय बीतने के साथ ही बेहतर परिस्थितियों की उम्मीद लगाए मजबूरन रहती हैं। कई बार लड़कियां यहां से भागने की कोशिश करती हैं, तो वहीं कुछ मामलों में उनके रिश्तेदार ही उन्हें मार देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये अनाथालय बिना किसी सुधार के ऐसे ही चल रहे हैं। बेशक क्राउन प्रिंस सुधार के लिए कदम उठा रहे हैं लेकिन इनकी स्थिति ठीक नहीं हो रही है। साल 2018 में सबसे ज्यादा महिला कार्यकर्ता गिरफ्तार हुई हैं। कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने 2014 में किंग अब्दुल्ला के आगे याचिका रखी है। जिनमें उन्होंने कहा है कि महिलाओं को जब जरूरत हो, तो उन्हें शेल्टर होम मुहैया कराए जाएं, और इस बात की जांच खत्म हो कि वह यहां क्यों आना चाहती हैं।

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सऊदी अरब में कई सरकारी शेल्टर होम संचालित हो रहे हैं। इनमें दार-ए-रेयाया भी शामिल हैं, जहां 7 से 30 साल की उम्र वाली महिलाएं रह सकती हैं। इन्हें मानव संसाधन और सामाजिक विकास मंत्रालय चलाते हैं। यहां लड़कियां खराब सामाजिक और मानसिक स्थिति के कारण आती हैं। जिन्हें अच्छी देखभाल की जरूरत होती है। सऊदी अरब में बहुत से लोगों की ऐसी सोच है कि अगर लड़की सही है, तो उसका परिवार भी सही है। और समाज भी सही होगा। लेकिन किसी को नहीं पता कि इन शेल्टर होम और अनाथालयों की स्थिति में कब सुधार होगा।

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