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Hindi News विदेश अन्य देश चीन की DF-26 जैसी Zmeevik हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल बना रहा रूस, अमेरिका को चटा सकती है धूल, खूबियां ऐसी की कांप उठे दुश्मन

चीन की DF-26 जैसी Zmeevik हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल बना रहा रूस, अमेरिका को चटा सकती है धूल, खूबियां ऐसी की कांप उठे दुश्मन

खास बात ये है कि रूस एक और Tsircon (या Zircon) नाम की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को लॉन्च करने के लिए नया तटीय मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहा है। जिससे न केवल जमीन, बल्कि हवा और पानी में भी दुश्मन पर निशाना लगा सकते हैं।

Zmeevik Ballistic Missile- India TV Hindi Image Source : TWITTER Zmeevik Ballistic Missile

Highlights

  • विमानवाहक पोत पर निशाना लगा सकती है रूसी मिसाइल
  • अपनी तेज गति के चलते रडार से बच निकलने में सक्षम
  • मिसाइल हाइपरसोनिक लड़ाकू उपकरणों से लैस है

Zmeevik Ballistic Missile: यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच रूस तमाम तरह के हथियारों की टेस्टिंग कर रहा है। जबकि इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया कि रूस हथियारों को इतनी बड़ी मात्रा में विकसित कर रहा हो, या फिर उनकी क्षमता परख रहा हो। अब ऐसी ही एक और खबर सामने आई है। जिससे पता चला है कि मॉस्को कथित तौर पर अपनी नौसेना के लिए एक नई बैलिस्टिक मिसाइल को विकसित कर रहा है। जो न केवल हाइपरसोनिक गति से निशाना लगा सकती है, बल्कि एक विमानवाहक जहाज को भी डुबा सकती है। ये नई मिसाइल बिलकुल चीन में बनी DF-21D और DF-26 मिसाइल के जैसी ही हैं। 

इस नई मिसाइल को 'कैरियर किलर' भी कहा जा रहा है। यानी हथियारों को ले जाने दुश्मन के वाहनों को भी ये नेस्तनाबूत कर सकती है। मिसाइल का नाम 'Zmeevik' बताया गया है। जो हाइपरसोनिक लड़ाकू उपकरण से लैस है। ये जानकारी रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने रूसी सैन्य विभाग के दो करीबी सूत्रों के हवाले से दी है। तास ने सूत्र के हवाले से बताया है, 'हाइपरसोनिक कॉम्बैट उपकरण से लैस Zmeevik बैलिस्टिक मिसाइल लंबे समय से बनाई जा रही है। इसे बड़े सतही लक्ष्यों को निशाना बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है, खासतौर पर विमानवाहक पोतों के लिए।'  

तटीय मिसाइल यूनिट को मिल सकती है मिसाइल

तास ने एक अन्य सूत्र के हवाले से बताया है, नई मिसाइल को रूसी नौसेना की तटीय मिसाइल यूनिट में इस्तेमाल के लिए दिया जा सकता है। खास बात ये है कि रूस एक और Tsircon (या Zircon) नाम की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को लॉन्च करने के लिए नया तटीय मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहा है। जिससे न केवल जमीन, बल्कि हवा और पानी में भी दुश्मन पर निशाना लगा सकते हैं। इस मिसाइल सिस्टम से जुड़ी जानकारी यूरेशियन टाइम्स में मई में दी गई थी। अभी तक Tsirkon के केवल हवाई और जमीन आधारित वेरिएंट की ही जानकारी है। जिनकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर तक है और जो 11,113 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला कर सकती है।

इसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 'अजेय' बताया है। Tsirkon को एक हाइब्रिड क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइल कहा जाता है। जो शुद्ध हाइपरसोनिक मिसाइल से अलग होती है। जो एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन द्वारा संचालित होती हैं। ये मिसाइल कथित तौर पर सबसे काबिल अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टमों से बच सकती है। मिसाइल रडार की पकड़ में भी नहीं आती है। इसके पीछे ही वजह ये है कि मिसाइल की गति बहुत ज्यादा है। जिसके कारण मिसाइल के सामने उसकी हवा का प्रेशर प्लाजमा क्लाउड बना देता है, जो रेडियो तरंगों को भी पकड़ सकता है। जिसके चलते यह रडार की पकड़ से बाहर हो जाती है।

Image Source : India TV Zmeevik Hypersonic Missile

अडवांस विमानवाहक पोतों को भी डुबाने में सक्षम

विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसा भी माना जाता है कि Tsircon मिसाइल अमेरिका के सबसे अडवांस विमानवाहक पोतों को भी डुबा सकती है। यह बेहद आसानी से अमेरिकी एजीस कॉम्बैट सिस्टम को हरा सकती है। वहीं रूस और चीन दोनों ही अमेरिकी विमानवाहक पोतों को लेकर चिंतित हैं। Zmeevik की बात करें, तो यह रूस की DF-21D एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल के समान है। DF-26 एक इंटरमीडिएट-रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। जो 4000 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन को नेस्तनाबूत कर सकती है। इस जमीन आधारित Dong Feng-21D (DF-21D) को 'कैरियर किलर' भी कहते हैं। इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है। 

इसे चीन ने अपने पूर्वी तट पर अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए रणनीति के तौर पर तैनात किया हुआ है। विस्फोटक वारहेड के साथ मिलकर ये मिसाइल एक ही निशाने के साथ पोत को तबाह कर सकती है। अमेरिका के लिए DF-26 मिसाइल को बड़ा खतरा माना जाता है। इसकी रेंज 4000 किलोमीटर तक की है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बड़े इलाके में अमेरिकी सेना को धमकाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल गुआम के रणनीतिक एंडरसन एयर बेस के खिलाफ भी किया जा सकता है। जो उत्तर कोरिया के पास अमेरिका का ही इलाका है। यही वजह है कि कई रक्षा विश्लेषक इसे 'गुआम किलर' कहकर भी पुकारते हैं।

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