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जापान के बाद अब फ्रांस को भी मिल सकता है नया प्रधानमंत्री, राजनीतिक संकट गहराने से राष्ट्रपति मैक्रों कर सकते हैं ऐलान

फ्रांस के प्रधानमंत्री लेकोर्नु के इस्तीफे के बाद से देश में राजनीतिक संकट गहराया गया है। राष्ट्रपति मैक्रों सरकार के सामने बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। हालांकि मैक्रों ने जल्द नए पीएम घोषित करने का ऐलान किया है।

इमैनुएल मौक्रों, फ्रांस के राष्ट्रपति। - India TV Hindi Image Source : AP इमैनुएल मौक्रों, फ्रांस के राष्ट्रपति।

पेरिस: जापान के बाद अब फ्रांस को भी नया प्रधानमंत्री मिल सकता है। राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों शुक्रवार को एक हफ्ते की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने वाले हैं। इसे आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे देश में एक साल से अधिक समय से जारी सियासी गतिरोध को हल करने के उनके प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। नये प्रधानमंत्री की नियुक्ति को मैक्रों के लिए उनके दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में जान फूंकने का एक आखिरी मौका माना जा रहा है, जो 2027 में समाप्त होगा।


मैक्रों के पास नेशनल असेंबली में नहीं है बहुमत

मैक्रों के पास अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए फ्रांसीसी संसद के निचले सदन यानि नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं है। इसके अलावा उन्हें विपक्ष के अलावा अपने ही खेमे के सदस्यों की भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह निवर्तमान प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु ने सोमवार को नया मंत्रिमंडल घोषित करने के कुछ घंटे बाद अचानक इस्तीफा दे दिया था। इस घटनाक्रम ने मैक्रों पर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने या नेशनल असेंबली को भंग करने का दबाव फिर से बढ़ा दिया था। हालांकि उन्होंने इस दबाव को नकारते हुए बुधवार को घोषणा की कि अगले 48 घंटों में वह लेकोर्नु के उत्तराधिकारी की घोषणा करेंगे।


संकट में है मैक्रों सरकार, देश पर आर्थिक संकट गहराया

पिछले साल से ही मैक्रों के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ा है। इससे यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फ्रांस राजनीतिक गतिरोध में फंस गया है। इसके साथ ही देश पर ऋण संकट भी गहरा गया है। 2024-25 वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के अंत में, फ्रांस का सार्वजनिक ऋण 33.46 खरब यूरो (लगभग 39 खरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 114 प्रतिशत है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 में फ्रांस में गरीबी दर 15.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 1996 में दस्तावेजीकरण शुरू होने के बाद से सर्वाधिक है।


किसे चुन सकते हैं मैक्रों

मैक्रों किसी वामपंथी नेता को नए प्रधानमंत्री के रूप में चुन सकते हैं, जिन्होंने 2024 के चुनावों में गठबंधन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी या फिर वह राजनीतिक गतिरोध से बचने के लिए किसी सर्वस्वीकार्य चेहरे को चुन सकते हैं। हालांकि नए प्रधानमंत्री को तत्काल अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बचने के लिए कुछ समझौते करने पड़ेंगे। उन्हें पेंशन सुधार योजना को भी टालने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु को 62 से बढ़ाकर 64 साल किए जाने का प्रस्ताव है। 2023 में मैक्रों ने इस प्रस्ताव को कानून का रूप देने पर मुहर लगाई थी, हालांकि इसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा था।

 

लेकोर्नु ने किया विपक्ष की सरकार बनने का दावा

प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले लेकोर्नु ने कहा कि मैक्रों के मध्यमार्गी गुट उसके सहयोगी दल और कुछ विपक्षी दल एकजुट होकर बहुमत की सरकार बना सकते हैं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अभी भी संभावना है, हालांकि यह थोड़ा मुश्किल है।" फ्रांस में राजनीतिक गतिरोध जून 2024 में शुरू हुआ था, जब मैक्रों ने अचानक नेशनल असेंबली को भंग करने की घोषणा की थी। इसके बाद हुए त्वरित चुनावों में कोई भी पार्टी 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल नहीं कर सकी। (एपी)

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