A
Hindi News विदेश यूरोप 10 हफ्ते में Omicron संक्रमण के 9 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए: विश्व स्वास्थ्य संगठन

10 हफ्ते में Omicron संक्रमण के 9 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए: विश्व स्वास्थ्य संगठन

ओमिक्रॉन, वायरस के अन्य स्वरूपों जितना घातक नहीं है फिर भी इससे बचकर रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के ज्यादातर क्षेत्रों से मौतों की संख्या में वृद्धि की बेहद डराने वाली खबरें आ रही हैं। 

10 हफ्ते में Omicron संक्रमण के नौ करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए:- India TV Hindi Image Source : PTI 10 हफ्ते में Omicron संक्रमण के नौ करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए:

Highlights

  • वर्ष 2020 में कोरोना के कुल मामलों से ज्यादा है अमिक्रॉन संक्रमण की संख्या
  • मौतों की संख्या में वृद्धि की बेहद डराने वाली खबरें आ रही हैं-टेड्रोस
  • मूल वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलता है ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट

जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक ने मंगलवार को कहा कि 10 सप्ताह पहले कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट सामने आने के बाद से अब तक संक्रमण के नौ करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जो कि वर्ष 2020 में सामने आए कुल मामलों से ज्यादा है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई थी। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेबरेसस ने आगाह किया कि हालांकि ओमिक्रॉन, वायरस के अन्य स्वरूपों जितना घातक नहीं है फिर भी इससे बचकर रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के ज्यादातर क्षेत्रों से मौतों की संख्या में वृद्धि की बेहद डराने वाली खबरें आ रही हैं। 

मूल वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलता है ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट : रिसर्च
सार्स-कोव-2 वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का एक सब वैरिएंट इसके मूल वेरिएंट से कहीं अधिक संक्रामक है। डेनमार्क में हुए एक नए शोध में यह दावा किया गया है। स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट (एसएसआई) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने 8541 घरों में 17945 लोगों के बीच ओमिक्रॉन के मूल वेरिएंट (बीए.1) और उपस्वरूप (बीए.2) के प्रसार का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि बीए.2 वैरिएंट 39 फीसदी की मारक क्षमता के साथ लोगों को अपनी चपेट में लेता है, जबकि बीए.1 के मामले में यह आंकड़ा 29 प्रतिशत है। बीए.2 के कम समय में ज्यादा लोगों को संक्रमित करने की मुख्य वजह भी यही मानी जा रही है। 

एसएसआई के शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि पूर्ण टीकाकरण करा चुके या बूस्टर खुराक हासिल कर चुके लोगों के मुकाबले वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के बीए.1 और बीए.2 से संक्रमित होने की आशंका काफी अधिक रहती है। हालांकि, अध्ययन की समीक्षा की जानी अभी बाकी है। इससे पता चला है कि बीए.2 से संक्रमित उन मरीजों के अन्य लोगों में वारयस का वाहक बनने का खतरा ज्यादा है, जिन्हें कोविड रोधी टीके की एक भी खुराक हासिल नहीं हुई है। शोध दल में यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहेगन, स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के शोधकर्ता भी शामिल थे।

इनपुट-भाषा

Latest World News