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दिल्ली वक्फ बोर्ड ने कर्मचारियों को नहीं दिया वेतन! हाई कोर्ट ने कहा- हाजिर हों CEO

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO को अपने समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है ताकि वह बता सकें कि कोर्ट के आदेश के बावजूद कई महीनों तक बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं दिया गया।

Delhi Waqf Board, Delhi Waqf Board CEO, Waqf Board CEO High Court- India TV Hindi Image Source : PTI REPRESENTATIONAL हाई कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को तलब किया है।

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO को अपने समक्ष उपस्थित होने और लंबित बकाये का भुगतान करने संबंधी एक कोर्ट के आदेश के बावजूद कई महीनों तक बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिये जाने के कारण बताने का निर्देश दिया है। जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड इम्पलॉइज की याचिका बहुत बुरी स्थिति को बयां करती है क्योंकि कर्मचारियों को करीब 9 महीने से उनकी तनख्वाह नहीं मिली है। जज ने कहा कि अधिकारी बहुत मुश्किल से गुजारा कर रहे कर्मचारियों की दशा के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील हैं।

‘आदेशों का नहीं के बराबर सम्मान किया जा रहा है’
कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया, अदालती आदेशों का नहीं के बराबर सम्मान किया जा रहा है क्योंकि सुनवाई की पिछली तारीख पर आश्वस्त किये जाने के बावजूद इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है कि तनख्वाह कब दी जाएगी। जज ने कहा कि अब यह कहा जा रहा है कि विषय पर विचार किया जा रहा है और फंड की कमी है। मामले को देखते हुए इस अदालत का यह मानना है कि CEO/प्रतिवादी संख्या-1 (दिल्ली वक्फ बोर्ड) को सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई 2023 को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश देना उपयुक्त होगा।

‘पिछले साल अक्टूबर से नहीं मिला है वेतन’
अदालत ने कहा कि CEO को अदालत में हाजिर होने के लिए इसलिए कहा गया है कि वह इस अदालत के आदेशों का कथित तौर पर पालन नहीं करने और दिल्ली वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन-भत्ते देने के सांविधिक दायित्वों का निर्वहन नहीं करने के बारे में बता सकें। अदालत ने एक जून को जारी अपने आदेश में यह कहा। याचिकाकर्ताओं ने एक कर्मचारी के साथ इस साल की शुरूआत में अदालत का रुख कर दावा किया था कि उन्हें पिछले साल अक्टूबर से वेतन नहीं मिला है और वित्तीय तंगी का सामना कर रहे हैं।

‘नहीं हो रहा अदालत के आदेशों का पालन’
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 27 मार्च को जारी अदालत के आदेशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील एम सुफियान ने हाई कोर्ट में दलील दी कि पीड़ित कर्मचारियों को गरिमापूर्ण जीवन के अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। (भाषा)