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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावती’ को लेकर अब अंतर्राष्ट्रीय फिल्मी हस्तियों ने कही ये बात

संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावती’ को लेकर अब अंतर्राष्ट्रीय फिल्मी हस्तियों ने कही ये बात

'पद्मावती' को बैन करवाने की लगातार कोशिश की जा रही हैं। हालांकि कई फिल्मी हस्तियां इसके समर्थन में खुलकर सामने आ चुकी हैं। राजपूत रानी पद्मावती की कहानी से भले ही करणी सेना वाकिफ ना हो, लेकिन भंसाली की 'पद्मावती' पर मचे बवाल ने....

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पणजी: फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को बैन करवाने की लगातार कोशिश की जा रही हैं। हालांकि कई फिल्मी हस्तियां इसके समर्थन में खुलकर सामने आ चुकी हैं। राजपूत रानी पद्मावती की कहानी से भले ही करणी सेना वाकिफ ना हो, लेकिन भंसाली की 'पद्मावती' पर मचे बवाल ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्मी हस्तियों का ध्यान खींचा है। इस बात पर उन लोगों का ध्यान गया है कि कैसे 'निरंकुश', 'खतरनाक' आवाजें और गतिविधियां भारतीय फिल्म उद्योग में अभिव्यक्ति की आजादी पर हावी हो रही हैं। गोवा में संपन्न हुए 48वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में ईरानी फिल्मकार माजिद मजीदी और टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (TIFF) के कलात्मक निर्देशक कैमरन बेली ने खुलकर भंसाली का समर्थन किया। मजीदी ने महोत्सव के पहले दिन कहा, "कलाकारों को अपनी प्रतिभा और जो इच्छा उनमें हैं, उसके चलते इस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यही बात फिल्मकारों पर भी लागू होती है। उन्हें विपरीत हालात की वजह से अपने काम में नई चीज को पेश करना नहीं छोड़ना चाहिए।" इफ्फी में भी इस बार 2 फिल्मों 'एस. दुर्गा' और 'न्यूड' की स्क्रीनिंग नहीं होने दी गई और जिसे लेकर काफी विवादों हुआ। इन फिल्मों के साथ 'पद्मावती' फिल्म का मुद्दा महोत्सव में फिल्मी हस्तियों की बातचीत के केंद्र में रहा।

यहां फिल्म बाजार में भाग लेने वाले एक फिल्म समीक्षक और मीडिया रणनीति सलाहकार माइकल जे. वर्नर ने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक प्रवृति है क्योंकि आपके पास ऐसी सरकार नहीं होनी चाहिए जो आपको इतिहास बताए। ‘पद्मावती’ के साथ जो कुछ हो रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि जैसे एक मंत्री या एक विभाग या एक राज्य कह रहा है कि हम इतिहास के इस प्रस्तुतीकरण को स्वीकार नहीं करते।" उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह (पद्मावती फिल्म) वास्तविक है या नहीं, लेकिन यह एक तरह से निरंकुश प्रतिक्रिया है।" फिल्म रिलीज होने पर सिनेमाघर को जलाने की धमकी दी गई है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने तो संजय लीला भंसाली और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का सिर काटने पर इनाम में 10 करोड़ रुपये देने तक की घोषणा कर डाली है। राजपूत करणी सेना का कहना है कि फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ की गई है। रानी पद्मावती को सही तरीके से पेश नहीं किया गया है, जबकि भंसाली इससे लगातार इनकार करते रहे हैं। फिल्म की शूटिंग के दौरान भी भंसाली पर हमला हुआ था और इसके एक सेट को जला दिया गया था।

इस बीच 'ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन' (बीबीएफसी) ने फिल्म को ब्रिटेन में रिलीज के लिए हरी झंडी दिखा दी, लेकिन इसके निर्माता भारत के सेंसर बोर्ड के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। 'ऑनलाइन फिल्म फाइनेंसिंग' (ओएलएफआई) के प्रबंध निदेशक व फ्रांसीसी फिल्म निर्माता इलियन गिरार्ड ने कहा कि वह भारतीय टेलीविजन पर ये सब चीजें देखते रहते थे और अपने भारतीय दोस्तों से स्थिति बारे में पूछते रहते थे। वह इस बात को समझते हैं कि यह एक महिला किरदार को लेकर कुछ सांस्कृतिक तत्वों से जुड़ा हुआ है, जिसे हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक व्यक्त्वि के रूप में देखा जाता है।

उन्होंने विवाद पर यह कहते हुए कोई फैसला नहीं दिया कि यह एक 'भारतीय मुद्दा' है लेकिन कहा कि उनकी राय यही है कि फिल्म और सांस्कृतिक जगत को विवादों का बंधक नहीं बनाना चाहिए। फिल्मकारों को उन कहानियों को कहने की आजादी होनी चाहिए जो वह बताना चाहते हैं। टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के बेली ने कहा कि लोगों को कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले सेंसर की मंजूरी का इंतजार करना चाहिए। बेली ने कहा, "सेंसर अधिकारियों के साथ इतना गनीमत है कि वे फैसला पास करने से पहले वास्तव में फिल्म देखते हैं। इसलिए जो कोई फिल्म के बारे में सुनता है और उसे लगता है कि फिल्म पर आपत्ति हो सकती है, उसे सबसे पहले फिल्म देखनी चाहिए।" बेली का मानना है कि किसी भी फैसले को सुनाने से पहले फिल्म को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। 'पद्मावती' की रिलीज पर अभी भी काले बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन सिडनी स्थित इंडीविजुअल फिल्म्स की निर्माता-निर्देशक अना तिवारी ने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस विवाद का अंत हो जाएगा।

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