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ल्यूकेमिया से पीड़ित थे ऋषि कपूर, जानिए क्या है ये बीमारी

साल 2018 में ऋषि कपूर को पहली बार कैंसर का पता चला था, जिसके बाद अभिनेता लगभग एक साल तक न्यूयॉर्क में रहे थे। वह ठीक होने के बाद सितंबर 2019 में भारत लौटे थे।

ऋषि कपूर- India TV Hindi ऋषि कपूर

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने गुरुवार को निधन हो गया। आपको बता दें कि अभिनेता ऋषि कपूर पिछले काफी वक्त से कैंसर से लड़ रहे थे। उनके निधन की खबर अमिताभ बच्चन ने अपने ट्विटर हैंडल से साझा की है। अमिताभ ने लिखा, "वो चला गया. ऋषि कपूर नहीं रहे। वो गुजर गए। मैं टूट गया हूं। भाई रणधीर कपूर ने बताया था कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है। जिसके कारण उन्हें मुंबई के एच.एन. रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि ऋषि कपूर पिछले 2 सालों से ल्मूकेमिया की बीमारी से पीड़ित है। यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर ही होता है। जानिए इस बीमारी के बारे में सबकुछ।

साल 2018 में ऋषि कपूर को पहली बार कैंसर का पता चला था, जिसके बाद अभिनेता लगभग एक साल तक न्यूयॉर्क में रहे थे। वह ठीक होने के बाद सितंबर 2019 में भारत लौटे थे। जिसके बाद वह अधिकतर रूटीन चेकअप कराते रहते थे। 

क्या है ल्यूकेमिया कैंसर?
एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जिसे सीएलएल के नाम से भी जाना जाता है, क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया। ल्यूकेमिया का असर सीधे खून पर पड़ता है। जिसके कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है। ल्यूकेमिया में अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में भारी संख्या में असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं जिन्हें ल्यूकेरिया कोशिकाएं कहा जाता है। जब यह कोशिकाएं ठीक ढंग से काम नहीं करती और तेजी से बढ़ने लगती हैं। जिससे कारण इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है और व्यक्ति बार-बार बुखार और इंफेक्शन की चपेट में आ जाता है। 

ल्यूकेमिया के लक्षण

  • स्किन का पीला पड़ना 
  • अधिक थकान
  • अधिक कमजोरी होना
  • बार-बार या गंभीर संक्रमण होना
  • लगातार वजन कम होना
  • घाव भरने में दर लगना
  • स्किन में छोटे लाल धब्बे (पेटीसिया)
  • अत्यधिक पसीना, विशेष रूप से रात में
  • हड्डी का दर्द या कोमलता
  • जल्दी से सांस लेना

ल्यूकेमिया का ट्रीटमेंट
ल्यूकेमिया का ट्रीटमेंट के लिए सबसे पहले टेस्ट किए जाते हैं। जिसमें  शारीरिक परीक्षण, खून टेस्ट, बौन मैरो टेस्ट आदि शामिल हैं। ल्यूकेमिया का इलाज कई तरीके से किया जाता है। यह मरीज की आयु, सेहत और ल्यूकेरिया के प्रकार पर निर्भर है। इसमें कीमोथेरेपी, बायोलॉजिकल थेरेपी,   रेडिएशन थेरेपी और स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट द्वारा किया जाता है। 

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