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Hindi News हेल्थ भारत की पहली 3-way swap liver transplant से बची तीन लोगों की जान, खुद डॉक्टर से जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

भारत की पहली 3-way swap liver transplant से बची तीन लोगों की जान, खुद डॉक्टर से जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट टीम ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल करते हुए देश में पहली बार थ्री-वे लिवर ट्रांसप्लांट स्वैप, या पेयर्ड एक्सचेंज किया है। इससे तीन लोगों को जीवनदान मिला है।

3-way swap liver transplant- India TV Hindi Image Source : MEDANTA 3-way swap liver transplant

लिवर शरीर के उन सबसे जरूरी अंगों में से एक है जिसका खराब होना, जानलेवा हो सकता है। लेकिन, मेडिकल साइंस क्या नहीं कर सकती है। जी हां, ऐसा ही एक चमत्कार मेदांता के चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. अरविंदर सोइन (Dr. AS Soin) और उनकी टीम ने किया है। मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट टीम ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल करते हुए देश में पहली बार थ्री-वे लिवर ट्रांसप्लांट स्वैप ( country’s first three-way liver transplant swap) या पेयर्ड एक्सचेंज करके तीन मरीजों की जान बचाई है। इन तीन ट्रांसप्लांट्स के लिए मुख्य सर्जन डॉ. एएस सोइन, डॉ. अमित रस्तोगी (Dr. Amit Rastogi ), और डॉ. प्रशांत भांगुई (Dr. Prashant Bhangui) थे। तो, आइए डॉ. एएस सोइन (Dr. AS Soin) जानते हैं कि कैसे ये चमत्कार किया गया।

डॉ. एएस सोइन (Dr. AS Soin) ने बताया क्यों पड़ी लिवर ट्रांसप्लांट की जरुरत?

लिवर फेल्योर और लिवर कैंसर के लास्ट स्टेज वाले मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। लेकिन, हर मरीज इस ट्रांसप्लांट को नहीं कर पाते हैं। दरअसल, कई मरीज आर्थिक रूप से सामर्थ्यवान नहीं होते, तो कई मरीजों को लिवर के सही पेयरिंग नहीं मिल पाती या लिवर मैच नहीं कर पाता है। इसके अलावा कई बार डोनर के लिवर के साइज और मरीज के लिवर के साइज ना मिल पाने की वजह से भी कई बार ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता है। इसके अलावा  सेम ब्लड ग्रुप ना मिलना या लिवर डोनर ही ना मिलना जैसी कई समस्याएं सामने आती हैं। ऐसे मरीजों की हम लिस्ट बनाते हैं और इसे फैमिली 1, फैमिली-2 और फैमिली 3... आदि का नाम देते हैं। फिर हम इनमें आप-पास में मैचिंग शुरू करते हैं।

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थ्री-वे स्वैप (three-way liver transplant swap) अजनबियों के बीच किया गया

ऐसे में सही ब्लड ग्रुप (blood group) और सही लिवर वॉल्यूम को हम इन फैमिली में मैच करते हैं। इस बार ये हुआ कि तीन परिवारों ने आपस में लिवर डोनेट किया और तीन मरीजों की जान बच गई। ये ऐसे हुआ कि फैमिली 1 में ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो पा रहा था और फैमिली 2 और 3 का लिवर वॉल्यूम नहीं मैच कर पा रहा था। इस सर्जरी में फैमिली 1 ने फैमिली 2 के मरीज को लिवर दिया, फैमिली 2 ने फैमिली 3 को और फैमिली 3 के डोनर ने फैमिली 1 को लिवर दिया।

कैसे किया गया ये थ्री-वे स्वैप 

एक तरह से आप कह सकते हैं यह थ्री-वे स्वैप तीन अजनबियों के बीच किया गया। इनमें मध्य प्रदेश के बिजनेसमैन, संजीव कपूर, उत्तर प्रदेश के बिजनेसमैन, सौरभ गुप्ता और दिल्ली की गृहणी, आदेश कौर को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। उन सभी का जीवन टर्मिनल लिवर फेल्योर के कारण खतरे में थे, और उनकी जान बचाने के लिए तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी था। वो इस स्थिति में नहीं थे कि डोनर का इंतजार किया जाए, जिसमें एक साल तक का समय लग सकता था। तीनी मरीजों के लिए उनके परिवार में ही जीवित डोनर थे, पर उनमें से कोई भी उचित मैच नहीं था। इन तीनों ने जीवित बचने की उम्मीद खो दी थी, पर मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट टीम ने एक साथ स्वैप सर्जरी की योजना बनाकर ये मुमकिन कर डाला।

Image Source : MedantaMedanta

डॉ. अरविंदर सोइन की टीम ने किया बेहतरीन काम

मेदांता के चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. अरविंदर सोइन ने टीम के इस अभूतपूर्व प्रयास की सराहना करते हुए कहा, 55 डॉक्टर्स और नर्सों ने 12 घंटों तक 6 ऑपरेटिंग रूम्स में एक साथ काम करते हुए लिवर ट्रांसप्लांट पूरा किया। जहां संजीव की डोनर (उसकी पत्नी) ब्लड ग्रुप कंपैटिबल थी, उसका आंशिक लिवर संजीव के लिए बहुत छोटा होता। दूसरी तरफ, सौरभ की डोनर (उसकी पत्नी) और आदेश का डोनर (उसका बेटा), दोनों ब्लड ग्रुप कंपैटिबल नहीं थे। पेयर्ड एक्सचेंज इस तरह प्लान किया गया कि तीनों मरीजों को ब्लड ग्रुप कंपैटिबल लिवर पर्याप्त मात्रा में मिल सका।

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90% लिवर की बीमारियों को रोका जा सकता है: Dr. AS Soin

Dr. AS Soin कहते हैं 90% लिवर की बीमारियों को रोका जा सकता है। जैसे कि आमतौर पर नौजवानों में लिवर डिजीज का कारण डायबिटीज, लिपिड प्रोफाइल बढ़ने और मोटापा है। ऐसे में सबसे पहले अपनी डाइट और फास्ट फूड के सेवन को कम करें। एक्सरसाइज करें और शरीर लिपिड प्रोफाइल को कंट्रोल करें। 

शराब के सेवन से बचें और हेपेटाइटिस बी का टीके जरूर लगवाएं

इसके अलावा शराब के सेवन से बचें ताकि लिवर खराब ना हो। साथ ही अब बाजार में हेपेटाइटिस बी के टीके (Hepatitis B vaccine) उपलब्ध हैं, कृप्या इसे जरूर लगवाएं। डॉ. अरविंदर सोइन बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी और सी, एड्स (AIDS) की तरह फैलता है। हेपेटाइटिस बी और सी दोनों वायरस डिजीज हैं और ये शरीर में खून और फ्लूड से फैलता है। इसलिए जहां पर भी इस तरह से इंफेक्शन फैलने का खतरा हो जैसे इंफेक्टेड नीडल और असुरक्षित यौन संबंध से बचें।

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