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Hindi News हेल्थ इस खास पहल से कुष्ठ रोग से ग्रसित महादेव की कैसे बदल गई जिंदगी, जानिए

इस खास पहल से कुष्ठ रोग से ग्रसित महादेव की कैसे बदल गई जिंदगी, जानिए

World Leprosy Day: इस बीमारी को कलंक मानते हुए रोगियों को अपने ही समाज में बहिष्कृत कर दिया जाता है और उन्हें खुद के हाल पर छोड़ दिया जाता है।

Mahadev - rotary- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@PROJECTLEPROSY World Leprosy Day

Highlights

  • दुनिया भर में तकरीबन 180,000 लोग कुष्ठ रोग से संक्रमित हैं
  • अफ्रीका और एशिया में कुष्ठ रोगियों की सख्या सबसे ज्यादा है
  • कुष्ठ रोग से कई गलत सामाजिक अवधारणाएं भी जुड़ी हैं

World Leprosy Day: कुष्ठ रोग जिसे आमतौर पर हैंनसन्स रोग कहा जाता है। इस रोग में त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है, त्वचा पर ऐसी गांठें या घाव हो जाते हैं जो कई सप्ताह या महीनों के बाद भी ठीक नहीं होते। कुष्ठ रोगियों के लिए जीवन शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

इस बीमारी को कलंक मानते हुए रोगियों को अपने ही समाज में बहिष्कृत कर दिया जाता है और उन्हें खुद के हाल पर छोड़ दिया जाता है। जबकि बीमारी का इलाज मौजूद है।

ऐसी ही एक केस स्टडी सामने आई है जिसने समाज और जिंदगी के बीच अंतर पैदा कर दिया था। मगर Rotary Club of Delhi South- DSRSF की पहल - लेप्रोसी कंट्रोल प्रोजेक्ट के तहत कई चेहरों पर मुस्कान आई है।

महादेव जब 25 साल के नवविवाहित थे, तब कुष्ठ रोग होने की वजह से उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया। उन्हें कर्नाटक में उनके गांव जलगांव से भगा दिया गया था। 73 साल के महादेव अब दिल्ली के सत्य जीवन कुष्ठ कॉलोनी के आभारी हैं, जहां उन्हें घर जैसा अनुभव हो रहा है। यह सब मानवीय कार्यों से जुड़े Rotary Club of Delhi South- DSRSF की पहल - लेप्रोसी कंट्रोल प्रोजेक्ट के तहत संभव हो पाया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज दुनिया भर में तकरीबन 180,000 लोग कुष्ठ रोग से संक्रमित हैं, जिनमें से अधिकतर अफ्रीका और एशिया में हैं। कुष्ठ रोग से कई गलत अवधारणाएं जुड़ी हैं, जिनके चलते बीमारी से ग्रस्त लोगों को सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

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