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Hindi News भारत राष्ट्रीय चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का चांद पर क्या है हाल? ये बड़ी खबर आई सामने

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का चांद पर क्या है हाल? ये बड़ी खबर आई सामने

गत सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया। तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि एजेंसी के विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने से पहले उससे संपर्क टूट जाने के कारणों का अध्ययन कर रही है। इसरो ने यह भी कहा कि भारत के दूसरे चंद्र मिशन का ऑर्बिटर निर्धारित वैज्ञानिक प्रयोगों को संतोषजनक तरीके से अंजाम दे रहा है और इसके सभी पेलोड का कामकाज संतोषप्रद है।

वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 1,471 kg के विक्रम और इसके साथ जुड़ा 27 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान चांद की सतह से महज कुछ ही दूरी पर क्रैश कर गया है। वैज्ञानिकों की टीम का मानना है कि अभी तक की अनुसंधान से ऐसा लग रहा है कि इस क्रैश के बाद लैंडर विक्रम के फिर से काम करने की उम्मीद लगभग ना के बराबर है। वैज्ञानिकों की राय है कि लैंडर विक्रम की क्रैश लैंडिंग के कारण या तो वह पलट गया है या मुड़ गया लेकिन, इतना अधिक क्षतिग्रस्त नहीं हुआ कि वह पहचान में भी न आ सके।

गत सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया। तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे से चंद्रमा की सतह पर लैंडर देखा गया है। विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी।

वहीं नासा के मून ऑर्बिटर ने भी चांद के उस हिस्से की तस्वीरें खींची हैं, जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इसकी पुष्टि की है। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था। 

एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि इसने विक्रम के उतरने वाले स्थान के ऊपर से उड़ान भरी। लैंडर से 21 सितंबर को संपर्क साधने का फिर प्रयास किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा।

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