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Rajat Sharma Blog: कैसे मोदी ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल को फिर से लिखा

 जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान सात दशक पहले हुई एक ऐतिहासिक गड़बड़ी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृह मंत्री अमित शाह के राजनीतिक कौशल और निर्णायक दृष्टि के कारण अब जाकर सही रूप दिया जा रहा है। 

Rajat Sharma Blog: How Modi rewrote the history and geography of Jammu & Kashmir- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: How Modi rewrote the history and geography of Jammu & Kashmir

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक साथ कई अहम कदम उठाते एक ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश द्वारा वर्ष 1954 के राष्ट्रपति के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके तहत अनुच्छेध 35ए को शामिल किया गया था। राष्ट्रपति के आदेश ने धारा 370 के एक प्रावधान को छोड़कर बाकी सभी प्रावधानों को निष्प्रभावी कर दिया और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के तहत राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक हिस्सा जम्मू-कश्मीर और दूसरा हिस्सा लद्दाख है। यह दोनों हिस्सा अलग राज्य न होकर केंद्र शासित प्रदेश होगा, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी वहीं लद्दाख बगैर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने के कुछ घंटे के भीतर गृह मंत्री अमित शाह ने इसे राज्यसभा में पेश किया जहां व्यापक बहस के बाद इसे दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया। इस तरह जम्मू-कश्मीर को नेहरू सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जा, अब अमान्य हो गया है। उसकी वैधता खत्म हो गई है।

इन ऐतिहासिक उपायों के लागू होने का मतलब ये होगा कि अब जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्यों के लोग जमीन या संपत्ति खरीद सकेंगे, कारोबार कर सकेंगे। दूसरे राज्यों के लोगों को कश्मीर में नौकरियां मिल सकेंगी। बगैर किसी तरह की बाधा के कश्मीर में उद्योगों की स्थापना हो सकेगी और अब देश में लागू होने वाले सभी कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे। अब तक देश में लागू होने वाले बाकी कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे। जम्मू-कश्मीर के लोगों को सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और पंचायती राज अधिनियम के तहत वे सभी लाभ मिलेंगे, जिससे वे अनुच्छेद 370 के कारण वंचित थे।

मंगलवार को लोकसभा में, जहां कि एनडीए को भारी बहुमत है, इसके पास होने के बाद जम्मू-कश्मीर का अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा और जम्मू कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा। देश के अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर भी भारत का हिस्सा हो जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह में राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया कि जैसे ही हालात समान्य होंगे जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।

इसके साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान सात दशक पहले हुई एक ऐतिहासिक गड़बड़ी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृह मंत्री अमित शाह के राजनीतिक कौशल और निर्णायक दृष्टि के कारण अब जाकर सही रूप दिया जा रहा है। 

सोमवार की बहस का सबसे दिलचस्प पहलू ये रहा कि एआईएडीएमके, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने के इन उपायों का समर्थन किया। 
 
इस ऐतिहासिक पहल ने आखिरकार फारूख अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा फैलाये जा रहे इस डर को दफन कर दिया कि इसके बहुत बुरे परिणाम होंगे। महबूबा मुफ्ती ने धमकी दी कि अगर अनुच्छेद 370 को हटाया गया तो कश्मीर घाटी में भारत का झंडा उठाने वाला कोई नहीं रहेगा। फारूख अब्दुल्ला एक वीडियो में कह रहे हैं कि चाहे मोदी आ जाएं या कोई और आए आर्टिकल 370 खत्म नहीं होगी। इन लोगों को कभी ये यकीन ही नहीं था कि नरेन्द्र मोदी इतनी सहजता से इतना बड़ा काम कर देंगे। 

जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के लिए बहुत सावधानीपूर्वक योजना तैयार की गई थी। प्रधानमंत्री मोदी कई वर्षों से इस पर काम कर रहे थे, और अमित शाह ने इसकी जबरदस्त प्लानिंग की। अमित शाह इसकी एक-एक बारीकी में गए और खामियों को दूर करने के लिए भरपूर प्रयास किया, राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत के समर्थन की व्यवस्था की, घाटी में सैनिकों को भेजा और एक 'सर्जिकल स्ट्राइक' के साथ 'एक झंडा, एक संविधान' के सपने को कुछ घंटों के भीतर पूरा किया।

यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना था जिसके लिए उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। एक ऐसा सपना जिसके लिए अटल बिहारी वाजपेयी, एल.के. आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने अपने राजनीतिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा बिता दिया और संघर्ष करते रहे। 
 
इस कहानी की शुरुआत 26 अक्टूबर 1947 से होती है जब पाकिस्तानी कबायली हमलावर श्रीनगर घाटी तक पहुंच गए और जम्मू-कश्मीर के महाराजा को वहां से भागना पड़ा और तब उन्होंने विलय पत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर हस्ताक्षर किया था। इसके दो साल के बाद, यानी 17 अक्टूबर 1949 को संविधान में धारा 306 जोड़ी गई जो 1952 में धारा 370 बनी और इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला। ये अस्थाई धारा थी लेकिन इसके तहत जम्मू कश्मीर का अलग संविधान बना और अलग झंडा मिला।

सत्तर साल तक किसी भी राजनीतिक दल या नेता ने वोट बैंक और इस डर की वजह से अनुच्छेद 370 को रद्द करने का साहस नहीं किया कि इससे घाटी में अशांति पैदा हो सकती है, लेकिन समय बीतने के साथ ही अनुच्छेद 370 की वजह से घाटी में अलगाववाद के बीज भी नजर आने लगे। अनुच्छेद 370 में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि भारतीय संविधान के अधिकांश प्रावधान और हमारी संसद द्वारा पारित सभी कानून जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होंगे। स्पष्ट रूप से, यह एक ऐसा रास्ता अपनाया गया जिसने एक मजबूत और अखंड भारत की जड़ों पर प्रहार किया।

अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को एक अलग झंडा प्रदान किया गया था और घाटी में हमारे राष्ट्रीय तिरंगे को जलाना अब तक अपराध नहीं माना जाता था। लेकिन अब और ऐसा नहीं होगा, केवल राष्ट्रीय ध्वज का अनादर ही नहीं, हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर का कोई भी रूप अब अपराध माना जाएगा। कोई 'दोहरी नागरिकता' नहीं होगी। जम्मू और कश्मीर के आम लोगों के पास कोई विशेष अधिकार नहीं होंगे, और उन्हें भी वही अधिकार मिलेगा जो एक भारतीय नगारिक को मिलता है। 
 
आप कल्पना नहीं कर सकते कि कश्मीर के लोगों का अनुच्छेद 35 A ने कितना नुकसान किया है। जो लोग 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर जम्मू कश्मीर में बसे थे, उन्हें आजतक नागरिकता नहीं मिली। उन्हें न जमीन खरीदने का हक है, न सरकारी नौकरी मिलती है, न उनके बच्चों को स्कॉलरशिप मिलती है, न वोट डाल पाते हैं। अनुच्छेद 35ए की वजह से इस राज्य में उन्हीं लोगों को ये अधिकार मिलेंगे जो यहां के 'स्थाई निवासी' होंगे। आपको बता दूं कि साल 1957 में दलित समुदाय के लोगों को यहां बसाया गया था। लेकिन इन लोगों को अभी तक जम्मू-कश्मीर का नागरिक नहीं माना गया और ये सिर्फ एक ही पद यानी सफाईकर्मी की नौकरी ही कर सकते हैं। इनके बच्चे पढ़ाई में आगे निकल गए और कुछ शिक्षक, वकील, डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई कर देश के कई हिस्सों में काम कर रहे हैं। लेकिन अगर इन्हें जम्मू-कश्मीर में नौकरी करनी है तो फिर आर्टिकल 35 ए के तहत इन्हें सिर्फ सफाई कर्मी की ही नौकरी मिलेगी। इसकी वजह से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को लेकर लोगों में आक्रोश है।

और वो कौन हैं जिन्हें इससे सबसे ज्यादा लाभ हुआ। अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा की वजह से केवल 'तीन बड़े राजनीतिक परिवारों' को फायदा हुआ है। 
 
जम्मू और कश्मीर के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। भारत के साथ एकीकरण से इस क्षेत्र के लोग अब स्वतंत्र रूप से सांस ले सकते हैं और वह सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं जो सभी भारतीय नागरिकों को दिए जाते हैं। यह नया युग निश्चित रूप से घाटी के युवाओं को कट्टरपंथी 'जिहादी' समूह के हाथों गुमराह होने से रोकेगा और इस विशाल भारतीय उपमहाद्वीप में उनके लिए प्रगति के रास्ते खोल देगा। 'स्थायी विषयों' और 'बाहरी लोगों' के आधार पर अधिक भेदभाव नहीं होगा। इसके साथ ही, लद्दाख के शांतिपूर्ण लोग निश्चित रूप से समृद्धशाली होकर चमकेंगे और दशकों की उपेक्षा और भेदभाव से मुक्त होंगे। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 05 अगस्त 2019 का पूरा एपिसोड

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