रजत शर्मा भारतीय मीडिया और पत्रकारिता जगत की एक जानी मानी हस्ती हैं। उनका टेलीविज़न शो ‘आप की अदालत’ न केवल देश-विदेश में बेहद लोकप्रिय है, बल्कि यह शो पिछले 30 साल से दर्शकों के दिल पर राज करता आया है । ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा ने तमाम मशहूर हस्तियों को कठघरे में बैठा कर सवालात पूछे । इन हस्तियों ने इस शो में अपनी ज़िंदगी के ऐसे ऐसे राज़ खोले, जो आम लोगों को पता नहीं था। रजत शर्मा ने टेलीविज़न की दुनिया में सवाल-जवाब की एक ऐसी रवायत कायम की, जो आज भी करोड़ों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
इस शो में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेकर तमाम सुपर स्टार, मशहूर क्रिकेटर, गायक, राजनीतिज्ञ, धर्मगुरु, योग गुरु आये । करीब दो दशक पहले रजत शर्मा ने ‘इंडिया टीवी’ न्यूज़ चैनल के साथ एक नया उपक्रम शुरू किया । आज इंडिया टीवी की गिनती देश के टॉप न्यूज़ चैनलों में होती है। रोज़ाना रात 9 बजे लाखों लोग उनका प्राइम टाइम लाइव न्यूज़ शो 'आज की बात' देखते हैं। इस शो में दिन की बड़ी खबरों पर उनकी खरी, बेलौस टिप्पणियों पर दर्शकों का हमेशा ध्यान रहता है। रजत शर्मा एक टेलीविजन स्टार से कहीं ज्यादा एक प्रेरक वक्ता भी हैं। उन्हें अक्सर दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनका दायरा टीवी स्क्रीन से कहीं आगे तक फैला हुआ है । उन्हें दुनिया भर में सबसे प्रभावशाली media icons में से एक के तौर पर पहचाना जाता है।
सोशल मीडिया में रजत शर्मा 10.8 मिलियन फॉलोअर्स के साथ X (पहले ट्विटर) पर मीडिया जगत की लोकप्रिय हस्तियों में शीर्षस्थ स्थान पर हैं। एक आम परिवार में जन्मे, साधारण स्कूलों में पढ़े रजत शर्मा ने अपने परिश्रम और मेधा के बल पर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया। यहां उनके संबंध ऐसे लोगों के साथ बने जो आगे चलकर अपने-अपने क्षेत्रों में विश्वस्तरीय नेता बने। छात्र राजनीति में सक्रिय होने के कारण रजत शर्मा को आपातकाल के समय जेल भी जाना पड़ा। परन्तु वे अपनी निष्ठा पर अडिग रहे और माली हालत के बावजूद अपनी आगे की शिक्षा जारी रखी।
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से एम.कॉम की डिग्री हासिल करने के बाद रजत शर्मा ने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा। मात्र 28 वर्ष की उम्र में वे ‘ऑनलुकर’ पत्रिका के संपादक बने । इसके बाद 'द संडे ऑब्जर्वर' और 'द डेली' में संपादक का दायित्व संभाला। उस समय की उनकी असाधारण रिपोर्टिंग का उल्लेख आज भी समकालीन मीडिया में होता है। 1993 में उन्होंने 'आप की अदालत' टीवी शो की कमान संभाली । इसने लोकप्रियता के नये प्रतिमान गढ़े। कई दशकों से इस शो ने इतनी अधिक प्रसिद्धि पायी कि इसके 21वीं वर्षगांठ समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे दिग्गज मंच की शोभा बढ़ाने पहुंचे ।
'आप की अदालत' के इसी मंच पर पहली बार तीनों खान सुपरस्टार - सलमान, शाहरुख और आमिर खान- नेशनल टेलीविजन पर एक साथ नज़र आए । 'आप की अदालत' का कीर्तिमान निर्विवाद है। स्वामी रामदेव और शाहरुख खान जैसे दिग्गज खुले तौर पर यह मानते हैं कि कैसे इस शो ने उनकी लोकप्रियता और स्टारडम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रजत शर्मा को पद्म भूषण से सम्मानित करने वाले भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनसे अपनी भूमिका न बदलने का आग्रह करते हुए कहा था- 'आप कृपया भारत की जनता के वकील बने रहें।' रजत शर्मा की उल्लेखनीय यात्रा अब मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया में उत्कृष्टता का पर्याय बन चुकी है।
बंगाल में लेफ्ट फ्रंट तकरीबन पूरी तरह खत्म हो गया है। कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है। अब मुकाबला बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच है। इसीलिए बीजेपी बंगाल में पूरी ताकत लगा रही है। बंगाल की तरह बीजेपी की नजर तेलंगाना पर भी है।
ये ऑपरेशन 41 हिन्दुस्तानियों की जिंदगी और मौत का फैसला करने वाला मिशन था। पूरे भारत की दुआएं लगीं, पूरा सिस्टम लगा, सारी सरकारी ताकत लगी और 17 दिन की लंबी जंग के बाद आखिरकार जिंदगी जीत गई। पहाड़ का सीना चीर कर सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और इस खबर ने हर हिन्दुस्तानी के चेहरे पर खुशी ला दी।
हरदीप पुरी ने कहा कि ट्रुडो जिस तरह से आंतकवादियों को पनाह दे रहे हैं, उनका समर्थन करते हैं, उससे तो लगता है कि खालिस्तान अगर कभी बने, तो कनाडा में ही बनना चाहिए।
पिछले कुछ दिनों से हलाल सर्टिफिकेट को लेकर बवाल मचा है और इसे लेकर अब सियासत भी खूब हो रही है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी इसके सुर तेज होने लगे हैं और राज्य में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री पर बैन लगाने की मांग हो रही है।
कई ऐलोपैथिक डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि योग और आयुर्वेद से लाइलाज बीमारियों का इलाज हो सकता है। मैं भी मानता हूं कि ऐलोपैथी ने पूरी दुनिया में लोगों की जान बचाने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसीलिए आयुर्वेद और एलोपैथी में टकराव नहीं होना चाहिए, ये एक दूसरे के पूरक हैं।
राजस्थान में अब तक कांग्रेस का कैंपेन अच्छा भला चल रहा था। अशोक गहलोत खुद कमान संभाल हुए थे। प्रियंका गांधी की रैलियां हो रही थी। कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई लेकिन राहुल गांधी पहुंचे, सारा गुड़गोबर कर दिया।
मुझे लगता है कि आज के ज़माने में इस तरह के अंधविश्वास की बातें करना, किसी को पनौती कहना, खेल के मैदान में हार जीत को किसी के नाम से जोड़ना बहुत ही घटिया स्तर की राजनीति की मिसाल है।
किसी वीडियो पर नकली आवाज़ लगाना, लिप सिंक मैच करना तो और भी आसान हो गया है। नकली वीडियो से रातों रात किसी की बदनामी हो सकती है, लोगों की भावनाएं भड़काई जा सकती हैं, इसलिए ये समाज के लिए बड़ा खतरा है।
पायलट की ये बात सही है कि उन्होंने शब्दों की मर्यादा कभी नहीं तोड़ी, हमेशा अपनी बात मजबूती से उठाई। उन्होंने पेपर लीक का मसला उठाया, आंदोलन किया, अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा निकाली, इसके कारण गहलोत को बैकफुट पर आना पड़ा।
विराट कोहली एक महान क्रिकेटर हैं। उन्होंने अपने खेल से, अपनी निष्ठा से, अपनी फिटनेस से, अपने सार्वजनिक आचरण से दुनिया में एक मिसाल कायम की है। वो लोगों को प्ररित करते हैं। मेरी दुआ है कि विराट कोहली इसी तरह बुलंदियां हासिल करते रहें, नौजवानों को प्रेरित करते रहें।
प्रचार के दौरान मोदी कांग्रेस के नेताओं का भाषण सुन रहे थे तो कांग्रेस के नेता भी मोदी का भाषण सुनकर उस हिसाब से अपनी स्पीच तैयार रहे थे। मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे और राहुल गांधी दोनों ही मध्यप्रदेश में थे। मोदी ने राहुल को मूर्खों का सरदार कहा तो खरगे ने मोदी को झूठों का सरदार कह दिया।
ये सोचकर भी अजीब लगता है कि दिल्ली का प्रदूषण सियासी टकराव का मसला बन गया है। दिल्ली में रहने वाले दो करोड़ लोग ज़हरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और दिल्ली की सरकार के मंत्री इसका हल निकालने की बजाय ये बताने में लगे हैं कि दिवाली की रात पटाखे बीजेपी वालों ने चलाए।
ऐसा व्यवहार न बिहार के लिए अच्छा है और न लालू यादव की आरजेडी के लिए। अगर नीतीश कुमार मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, अपने होशोहवास में नहीं हैं तो ऐसे व्यक्ति के हाथ में बिहार की कमान होना खतरनाक है।
जो नेता विधानसभा और विधान परिषद में अश्लील बातें कर सकता है, क्या उसे बिहार का नेतृत्व करने का अधिकार है ? नीतीश कुमार ने जो बेशर्मी दिखाई, जिस तरह की गंदी बात की, उसके बाद उन्हें अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
बिहार के इस जातिगत सर्वे को हर नेता अपनी जाति के चश्मे से देख रहा है। जातिगत जनगणना हो गई, पर क्या इससे वाकई में गरीबों का भला होगा? क्या वाकई में सरकार जाति के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं बना पाएगी?
भूपेश बघेल सारे इल्जामात को बीजेपी की चुनावी साजिश बता रहे हैं। बघेल ने कहा कि महादेव एप के खिलाफ जांच उन्होंने शुरू की, 72 केस दर्ज किए, डेढ़ साल में साढ़े चार सौ लोगों को गिरफ्तार किया।
वायु प्रदूषण से बचने में कुछ पौधे भी आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे एरिका पाम, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट। ये मैंने कुछ साल पहले भी बताए थे। न परिस्थितियां बदलीं हैं, न उपाय बदले हैं। IIT कानपुर की रिसर्च के मुताबिक ये पौधे घर की हवा को साफ करते हैं, उसे सांस लेने लायक बनाते हैं।
मोदी साफ साफ कहते हैं कि कोई कितना भी प्रभावशाली हो, अगर वो भ्रष्टाचार करेगा तो वो उसे छोड़ेंगे नहीं। अगर ये मोदी की ताकत है, तो आज के ज़माने में ये मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है।
ये भी सही है कि इस बार मराठा आरक्षण के आंदोलन को हवा देने का काम शरद पवार और उनकी पार्टी के नेताओं ने किया। उनकी मंशा इस मामले में केंद्र सरकार को फंसाने की है। इसीलिए उनके लोग बार बार कह रहे हैं कि अगर मराठाओं को कोई आरक्षण दे सकता है तो केंद्र सरकार दे सकती है।
हकीकत तो यही है कि ये तो एप्पल को भी नहीं पता कि हैकर्स कौन हैं? कब हैकिंग हुई? और एप्पल ये भी कह रहा है कि इस तरह के एलर्ट यूजर्स को सावधान करने के लिए भेजे जाते हैं। जरूरी नहीं है कि जिसको एलर्ट मिले उसका फोन हैक करने की कोशिश हुई ही हो।
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