Wednesday, May 01, 2024
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Rajat Sharma's Blog | रामलला का सूर्य तिलक : एक सपना हुआ साकार

कोणार्क के सूर्य मंदिर सहित देश भर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधे भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। नोट करने की बात ये है कि जिस तरह अयोध्या के राम मंदिर में ये काम वैज्ञानिक संस्थानों की मदद से हुआ, हजारों साल पहले भी भारत में इसी तरह की वैज्ञानिक सोच उपलब्ध थी।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: April 18, 2024 17:30 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

रामनवमी पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव देश भर में मनाया गया। अयोध्या में अलग ही माहौल था। पांच सौ साल बाद रामलला ने भव्य मंदिर में अपना जन्मदिन मनाया। दोपहर को ठीक बारह बजे गर्भगृह में सूर्य भगवान ने रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया। प्रभु राम को छप्पन भोग लगाया गया। दुनिया भर से भक्त रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। बड़े शहरों से लेकर कस्बों और गावों में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की शोभायात्राएं निकालीं गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श विकसित भारत के निर्माण का सशक्त आधार बनेंगे, उनका आशीर्वाद आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। चूंकि पांच सौ साल बाद रामलला अपने मंदिर में विराजमान हुए हैं, इसलिए इस बार की रामनवमी पर अयोध्या में जबरदस्त तैयारी की गई थी। पूरी अयोध्या नगरी को सजाया गया। दुनिया भर से 15 लाख से ज्यादा भक्त अयोध्या पहुंचे। साढे़ तीन लाख से ज्यादा भक्तों ने रामलला के दर्शन किए। सबको उस पल का इंतजार था जब रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी, रामलला का सूर्य तिलक होगा। ठीक 12 बजे गर्भगृह में बत्तियां बंद हुईं और सूर्य की किरणों का प्रवेश हुआ। रामलला के मस्तक पर सूर्य भगवान ने तिलक किया। उस वक्त घंटे घड़ियाल की ध्वनि से पूरा माहौल गूंजने लगा।

रामलला के सूर्य तिलक की तैयारी वैज्ञानिक तरीके से की गई थी। Central Building Research Institute, रूड़की और Indian Institute of Astrophysics, बैंगलुरु के वैज्ञानिकों ने इसके लिए पूरा मेकैनिज्म डिज़ाइन किया था। तीसरी मंजिल से सूर्य किरणों को गर्भगृह तक लाना और रामलला के मस्तक पर डालना कोई आसान काम नहीं था लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था और वैज्ञानिकों की मेहनत ने इस कठिन काम को भी आसान बना दिया। दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पहले मंदिर के तीसरी मंजिल पर लगे मिरर पर पड़ीं, फिर वो reflect होकर एक पीतल के पाइप के जरिए मंदिर की पहली मंजिल तक पहुंचीं। फिर सूर्य किरणों को रिफ्लेक्टर के जरिए गर्भगृह की दीवार में बने सुराख के रास्ते रामलला के मस्तक तक लाया गया। ये सूर्य तिलक 58 मिलीमीटर का था। करीब 3 से 4 मिनट तक सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक पर तिलक किया जिसे देखने के लिए तमाम रामभक्त मंदिर में मौजूद थे। लेकिन जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया था ताकि ज्यादा भीड़ न हो जाए।

जैसे ही रामलला का सूर्याभिषेक हुआ, भगवान की आरती की गई, करोड़ों रामभक्तों ने इस दृश्य को टीवी स्क्रीन पर लाइव देखा। जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, प्रधानमंत्री मोदी उस समय असम के नलबाड़ी में एक चुनाव रैली करके निकले थे। 12 बजे वो हैलीकॉप्टर में थे। मोदी ने हैलीकॉप्टर में बैठकर ऑनलाइन ही रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत दृश्य को देखा। इस पवित्र क्षण का साक्षी बनने से पहले उन्होने अपने जूते उतारे। फिर पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य तिलक का नजारा देखा और श्रीराम को प्रणाम किया। मोदी ने अपना ये वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि करोड़ों भारतीयों की तरह उनके लिए भी ये एक भावनात्मक क्षण था। मोदी ने नलबाड़ी की रैली में सूर्य तिलक का जिक्र किया। उन्होने वहां मौजूद लोगों से अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर भगवान राम के इस उत्सव में शामिल होने की अपील की और उसके बाद जय श्रीराम के नारे लगाए। सूर्यवंशी श्रीराम के जन्मोत्सव के वक्त रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक ऐतिहासिक क्षण था। ये विरासत के संरक्षण और विज्ञान के संवर्धन से बने विकास पथ का प्रमाण है।

रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का काम देखने सुनने में जितना आसान लग रहा है, वह हकीकत में बहुत कठिन था। इसमें वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम लगा है। मंदिर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया था कि रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था। जब राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने वाला था, उस वक्त हर छोटी बड़ी बात पर विचार हो रहा था। उसी समय मोदी ने ये सुझाव दिया था कि प्रभु श्रीराम सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं, इसलिए क्या ऐसा हो सकता है कि रामनवमी के दिन रामलला का तिलक स्वयं सूर्य भगवान करें? सूर्य की किरणों रामलला के मस्तक का अभिषेक करें? उस बैठक में प्रधानमंत्री के सुझाव पर अमल करने पर सहमति बनी लेकिन इसके बाद मोदी ने ये काम सिर्फ मंदिर निर्माण के काम में लगे लोगों पर नहीं छोड़ा, खुद प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने महाराष्ट्र और कर्नाटक के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस काम की जिम्मेदारी भी सौंपी। मोदी का ये सुझाव हकीकत में बदल गया और पूरी दुनिया ने गर्भगृह में विराजे रामलला के सूर्यतिलक तिलक के दर्शन किए। कोणार्क के सूर्य मंदिर सहित देश भर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधे भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। नोट करने की बात ये है कि जिस तरह अयोध्या के राम मंदिर में ये काम वैज्ञानिक संस्थानों की मदद से हुआ, हजारों साल पहले भी भारत में इसी तरह की वैज्ञानिक सोच उपलब्ध थी।

उत्सव के इस पल में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव  ने अयोध्या और देशभर में हो रहे समारोहों को पाखंड बता दिया। रामगोपाल यादव ने कहा कि अयोध्या में सब अशुभ हो रहा है, आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई, अब बीजेपी के नेता ढ़ोल पीट रहे हैं। यादव ने कहा कि वो कभी किसी मंदिर में नहीं गए, मंदिर में पाखंडी जाते हैं, वो घर में ही भगवान का नाम ले लेते हैं, इसीलिए वही सच्चे भक्त हैं। रामगोपाल यादव इसलिए नाराज है क्योंकि बीजेपी के नेता हर सभा में अयोध्या की बात करते हैं, रामलला की बात करते हैं, सनातन को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहिष्कार पर सवाल पूछ रहे हैं। ये बातें रामगोपाल यादव को परेशान कर रही है। इसीलिए उन्होंने कहा कि जो मंदिर जाते हैं, वो पाखंडी हैं, अयोध्या में बना मंदिर अशुभ है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरुआत राम नाम से होती है और जिंदगी की शाम भी राम नाम से होती है, इसमें कहां जाति है? कहां धर्म है?

योगी ने कहा कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बीएसपी का चरित्र दोहरा है, ये लोग पहले राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगते थे और अब कह रहे हैं, राम तो सबके हैं। योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरुआत भगवान के नाम से होती है, जीवन की शुरुआत और अंत भी राम नाम से होता है, इसका किसी जाति से कोई लेना-देना नहीं है। इसीलिए जब रामगोपाल यादव ने मंदिर जाने वालों को पाखंडी कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ। रामगोपाल यादव तो पढ़े लिखे हैं। क्या वह यह नहीं जानते कि भारत एक धर्म प्रधान देश है? क्या वह ये भूल गए कि धर्म भारतीय संस्कृति का मूल आधार है? हमारे मंदिर हमारी विरासत का प्रतीक हैं? क्या वह यह भूल गए कि हमारे देश में करोड़ों लोग भगवान में आस्था रखते हैं, मंदिर जाते हैं, पूजा पाठ करते हैं? रामगोपाल यादव को ऐसे लोगों की भावनाओं को आहत करने का कोई हक नहीं है। रामगोपाल यादव इस तरह की बयानबाजी में अगर कोई सियासी फायदा ढूंढ रहे हैं, अगर समाज के किसी एक वर्ग को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह बड़ी गलतफहमी में हैं। उन्हें और उनकी पार्टी को इसका नुकसान होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 17 अप्रैल, 2024 का पूरा एपिसोड

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