दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट और अन्य हिमालयी शिखरों पर बढ़ते कचरे की समस्या से निपटने के लिए नेपाल सरकार ने एक व्यापक 'एवरेस्ट क्लीनिंग एक्शन प्लान (2025-2029)' पेश किया है। यह योजना इस आलोचना के बाद लाई गई है कि माउंट एवरेस्ट डंपिंग ग्राउंड बनता जा रहा है। संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से तैयार की गई यह योजना 2025 से 2029 तक चलेगी। इस पांच वर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य पर्वतारोहण को सुरक्षित बनाना और हिमालय की पारिस्थितिकी की रक्षा करना है।
क्या है नेपाल सरकार का एक्शन प्लान?
- माउंट एवरेस्ट के कैंप-2 पर एक अस्थायी कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किया जाएगा। अब हर पर्वतारोही और टीम के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे ऊंचे कैंपों से एक निश्चित मात्रा में कचरा वापस लाएं और वहां जमा करें।
- किसी भी अभियान पर जाने से पहले टीमों को 'क्लीन माउंटेन ब्रीफिंग' में शामिल होना होगा, जहां उन्हें स्वच्छता बनाए रखने के प्रशिक्षण और नियमों की जानकारी दी जाएगी।
- बेस कैंप से ऊपर के कठिन क्षेत्रों से कचरा निकालने के लिए ड्रोन और रोपवे जैसी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की संभावनाओं पर काम किया जाएगा।
- पहाड़ पर मौजूद मानव अवशेषों (मृत शरीरों) का पता लगाने के लिए GPS ट्रैकिंग सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा।
- पर्वतारोहियों की संख्या को सीमित करने के लिए कानून बनाए जाएंगे।
- पहाड़ की प्राकृतिक क्षमता और मौसम की स्थिति को देखते हुए यह तय किया जाएगा कि एक समय में कितने लोग चढ़ाई कर सकते हैं।
बेस कैंप को शिफ्ट करने पर विचार
अत्यधिक भीड़ और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के कारण सरकार एवरेस्ट बेस कैंप को किसी वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन भी करेगी। पर्यटन विभाग के निदेशक हिमल गौतम के अनुसार, बेस कैंप वर्तमान में बहुत नाजुक स्थिति में है और इसकी स्थिरता के लिए विकल्प तलाशना जरूरी है।
जापानी पर्वतारोही केन नोगुची, जिन्होंने 2000 से 2007 के बीच अपनी टीम के साथ करीब 90 टन कचरा इकट्ठा किया था। उनका कहना है कि स्थिति पहले से और खराब हुई है। पहाड़ों पर ऑक्सीजन कैनिस्टर, प्लास्टिक की बोतलें, रस्सियां और मानवीय अपशिष्ट भारी मात्रा में जमा हैं। प्लास्टिक को गलने में 500 साल लग सकते हैं और इसे जलाने या दबाने से मिट्टी और हवा दोनों प्रदूषित हो रहे हैं।
नेपाली सेना का अभियान
नेपाली सेना ने विभिन्न अभियानों के माध्यम से अब तक लगभग 1,19,056 किलोग्राम कचरा, 12 मानव शव और 4 मानव अवशेष बरामद किए हैं। अकेले 2019 के अभियान में 10.8 टन कचरा निकाला गया था।
बता दें कि नेपाल में दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों में से 8 स्थित हैं। ऐसे में यह कदम केवल पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। 2024 से पहले ही पर्वतारोहियों के लिए 'पूप बैग' का उपयोग अनिवार्य किया जा चुका है और अब यह नया 5-वर्षीय प्लान हिमालय की गरिमा वापस लौटाने की दिशा में एक ठोस कोशिश रूप में देखा जा रहा है।
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