ये ऑपरेशन 41 हिन्दुस्तानियों की जिंदगी और मौत का फैसला करने वाला मिशन था। पूरे भारत की दुआएं लगीं, पूरा सिस्टम लगा, सारी सरकारी ताकत लगी और 17 दिन की लंबी जंग के बाद आखिरकार जिंदगी जीत गई। पहाड़ का सीना चीर कर सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और इस खबर ने हर हिन्दुस्तानी के चेहरे पर खुशी ला दी।
हरदीप पुरी ने कहा कि ट्रुडो जिस तरह से आंतकवादियों को पनाह दे रहे हैं, उनका समर्थन करते हैं, उससे तो लगता है कि खालिस्तान अगर कभी बने, तो कनाडा में ही बनना चाहिए।
पिछले कुछ दिनों से हलाल सर्टिफिकेट को लेकर बवाल मचा है और इसे लेकर अब सियासत भी खूब हो रही है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी इसके सुर तेज होने लगे हैं और राज्य में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री पर बैन लगाने की मांग हो रही है।
कई ऐलोपैथिक डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि योग और आयुर्वेद से लाइलाज बीमारियों का इलाज हो सकता है। मैं भी मानता हूं कि ऐलोपैथी ने पूरी दुनिया में लोगों की जान बचाने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसीलिए आयुर्वेद और एलोपैथी में टकराव नहीं होना चाहिए, ये एक दूसरे के पूरक हैं।
राजस्थान में अब तक कांग्रेस का कैंपेन अच्छा भला चल रहा था। अशोक गहलोत खुद कमान संभाल हुए थे। प्रियंका गांधी की रैलियां हो रही थी। कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई लेकिन राहुल गांधी पहुंचे, सारा गुड़गोबर कर दिया।
मुझे लगता है कि आज के ज़माने में इस तरह के अंधविश्वास की बातें करना, किसी को पनौती कहना, खेल के मैदान में हार जीत को किसी के नाम से जोड़ना बहुत ही घटिया स्तर की राजनीति की मिसाल है।
किसी वीडियो पर नकली आवाज़ लगाना, लिप सिंक मैच करना तो और भी आसान हो गया है। नकली वीडियो से रातों रात किसी की बदनामी हो सकती है, लोगों की भावनाएं भड़काई जा सकती हैं, इसलिए ये समाज के लिए बड़ा खतरा है।
पायलट की ये बात सही है कि उन्होंने शब्दों की मर्यादा कभी नहीं तोड़ी, हमेशा अपनी बात मजबूती से उठाई। उन्होंने पेपर लीक का मसला उठाया, आंदोलन किया, अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा निकाली, इसके कारण गहलोत को बैकफुट पर आना पड़ा।
विराट कोहली एक महान क्रिकेटर हैं। उन्होंने अपने खेल से, अपनी निष्ठा से, अपनी फिटनेस से, अपने सार्वजनिक आचरण से दुनिया में एक मिसाल कायम की है। वो लोगों को प्ररित करते हैं। मेरी दुआ है कि विराट कोहली इसी तरह बुलंदियां हासिल करते रहें, नौजवानों को प्रेरित करते रहें।
प्रचार के दौरान मोदी कांग्रेस के नेताओं का भाषण सुन रहे थे तो कांग्रेस के नेता भी मोदी का भाषण सुनकर उस हिसाब से अपनी स्पीच तैयार रहे थे। मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे और राहुल गांधी दोनों ही मध्यप्रदेश में थे। मोदी ने राहुल को मूर्खों का सरदार कहा तो खरगे ने मोदी को झूठों का सरदार कह दिया।
ये सोचकर भी अजीब लगता है कि दिल्ली का प्रदूषण सियासी टकराव का मसला बन गया है। दिल्ली में रहने वाले दो करोड़ लोग ज़हरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और दिल्ली की सरकार के मंत्री इसका हल निकालने की बजाय ये बताने में लगे हैं कि दिवाली की रात पटाखे बीजेपी वालों ने चलाए।
ऐसा व्यवहार न बिहार के लिए अच्छा है और न लालू यादव की आरजेडी के लिए। अगर नीतीश कुमार मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, अपने होशोहवास में नहीं हैं तो ऐसे व्यक्ति के हाथ में बिहार की कमान होना खतरनाक है।
जो नेता विधानसभा और विधान परिषद में अश्लील बातें कर सकता है, क्या उसे बिहार का नेतृत्व करने का अधिकार है ? नीतीश कुमार ने जो बेशर्मी दिखाई, जिस तरह की गंदी बात की, उसके बाद उन्हें अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
बिहार के इस जातिगत सर्वे को हर नेता अपनी जाति के चश्मे से देख रहा है। जातिगत जनगणना हो गई, पर क्या इससे वाकई में गरीबों का भला होगा? क्या वाकई में सरकार जाति के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं बना पाएगी?
भूपेश बघेल सारे इल्जामात को बीजेपी की चुनावी साजिश बता रहे हैं। बघेल ने कहा कि महादेव एप के खिलाफ जांच उन्होंने शुरू की, 72 केस दर्ज किए, डेढ़ साल में साढ़े चार सौ लोगों को गिरफ्तार किया।
वायु प्रदूषण से बचने में कुछ पौधे भी आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे एरिका पाम, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट। ये मैंने कुछ साल पहले भी बताए थे। न परिस्थितियां बदलीं हैं, न उपाय बदले हैं। IIT कानपुर की रिसर्च के मुताबिक ये पौधे घर की हवा को साफ करते हैं, उसे सांस लेने लायक बनाते हैं।
मोदी साफ साफ कहते हैं कि कोई कितना भी प्रभावशाली हो, अगर वो भ्रष्टाचार करेगा तो वो उसे छोड़ेंगे नहीं। अगर ये मोदी की ताकत है, तो आज के ज़माने में ये मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है।
ये भी सही है कि इस बार मराठा आरक्षण के आंदोलन को हवा देने का काम शरद पवार और उनकी पार्टी के नेताओं ने किया। उनकी मंशा इस मामले में केंद्र सरकार को फंसाने की है। इसीलिए उनके लोग बार बार कह रहे हैं कि अगर मराठाओं को कोई आरक्षण दे सकता है तो केंद्र सरकार दे सकती है।
हकीकत तो यही है कि ये तो एप्पल को भी नहीं पता कि हैकर्स कौन हैं? कब हैकिंग हुई? और एप्पल ये भी कह रहा है कि इस तरह के एलर्ट यूजर्स को सावधान करने के लिए भेजे जाते हैं। जरूरी नहीं है कि जिसको एलर्ट मिले उसका फोन हैक करने की कोशिश हुई ही हो।
इजरायल और हमास के मामले पर पूरी दुनिया दो भागों में तो पहले ही बंट चुकी थी लेकिन अब दो तरह की सोच वाले मुल्कों के बीच टकराव दिखाई दे रहा है, जो चिंता की बात है। जहां तक इजरायल का सवाल है,उसे दुनिया के एक बड़े हिस्से का समर्थन है। हमास की बर्बरता के बाद इजरायल ठान चुका है कि वह हमास को सबक सिखा कर रहेगा।
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