Saturday, May 18, 2024
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Explainer: कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, फिर भी ज्यादा लोग संक्रमित क्यों नहीं हो रहे?

कोरोना वायरस ने दुनियाभर में काफी तबाही मचाई। इसकी वजह से लाखों लोगों की जान गई और लाखों लोग इस वायरस के दुष्प्रभाव से जूझे। अभी भी इसके मामले पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं लेकिन अब ये वायरस उतना खतरनाक नहीं है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: May 06, 2024 12:40 IST
Corona Virus - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX कोरोना वायरस खत्म होने की कगार पर!

नई दिल्ली: दुनियाभर में जमकर उत्पात मचाने वाला कोरोना वायरस अब शांत हो चुका है। हालांकि ये पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, फिर भी कोरोना संक्रमण के मामले अब बहुत ज्यादा नहीं आ रहे हैं। 

3 साल पहले भारत इस वायरस की वजह से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था। 2021 में मई महीने में 1.2 लाख से अधिक मौतें हुईं थीं। देश में अब तक हुई सभी मौतों में से लगभग 20% मौतें कोविड के कारण हुईं हैं। उस महीने के पहले तीन हफ्तों में, हर दिन औसतन 3 लाख से अधिक कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए। 

इसके बाद जनवरी-फरवरी 2022 की ओमीक्रॉन लहर में संक्रमण में भारी वृद्धि देखी गई, लेकिन बहुत अधिक गंभीर मामले या मौतें नहीं हुईं। हालांकि अब भी कुछ मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, शुक्रवार तक 850 सक्रिय मामले थे लेकिन महामारी अब कोई गंभीर खतरा नहीं है।

क्या महामारी खत्म हो गई?

5 मई, 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषणा की थी कि कोविड-19 अब वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है। ऐसे में ये साफ था कि अब इस वायरस का अनियंत्रित प्रसार खत्म हो गया था, इससे गंभीर बीमारियां, अस्पताल में भर्ती होना या मौतें नहीं हो रही थीं, और अब दुनिया के अधिकांश हिस्सों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर असर नहीं पड़ रहा था। इस घोषणा को महामारी के औपचारिक अंत के रूप में देखा गया।

भारत ने भी सभी कोविड-19-संबंधित प्रतिबंध वापस ले लिए थे और आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना बंद कर दिया था। इसके बाद, राज्य सरकारों ने सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता के अपने आदेश हटा दिए थे।

हालांकि, SARS-CoV-2, वायरस (जो कोविड-19 बीमारी का कारण बना) अभी भी प्रचलन में है और संक्रमण और यहां तक ​​कि कुछ मौतों का कारण बना हुआ है। इस समय सबसे अधिक संक्रमण पैदा करने वाला प्रमुख संस्करण जेएन.1 है, जो ओमिक्रॉन का दूर का वंशज है। जेएन.1 अपने सहयोगी वेरिएंट की तुलना में लोगों को संक्रमित करने में थोड़ा अधिक कुशल है, लेकिन, ओमिक्रॉन के सभी वंशजों की तरह, गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों से पता चलता है कि 14 अप्रैल तक के चार हफ्तों में, दुनिया भर में 2.42 लाख से अधिक कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए, जिनमें से दो-तिहाई से अधिक रूस और न्यूजीलैंड में थे। भारत में करीब 3,000 मामले सामने आए। इसी अवधि में, कोरोना लगभग 3,400 मौतों का कारण बना, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 2,400 और भारत में 53 मामले शामिल थे।

बहुत कम परीक्षण के बावजूद, भारत अभी भी दोहरे अंकों में मामले दर्ज कर रहा है। गुरुवार को यहां 50 मामलों का पता चला था। केरल में तो एक मौत भी हुई।

अधिक लोग संक्रमित क्यों नहीं हो रहे?

इसके पीछे का एक कारण कम जांचों का होना भी है। हालांकि बीते सालों की अपेक्षा अब कोरोना स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम नहीं है। जब तक ओमीक्रॉन का संक्रमण फैला, तब तक दुनिया की बड़ी आबादी ने वैक्सीन ले ली थी। हालांकि संक्रमण के कम फैलाव की स्थिति कब तक बनी रहेगी इसका अंदाजा किसी को नहीं है। 

डॉक्टर का क्या कहना है?

इस मामले पर इंडिया टीवी ने नोएडा स्थित शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी से बात की। डॉक्टर त्यागी ने बताया कि विशाल टीकाकरण अभियान, लोगों की कोरोना के प्रति जागरुकता और सामाजिक दूरी बनाए रखने की आदत ने भी संक्रमण को फैलने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाई है।

 
डॉक्टर त्यागी ने बताया कि मास्क और सैनिटाइजर का भरपूर इस्तेमाल और स्वच्छता बनाए रखने की वजह से कोरोना का प्रभाव कम हुआ है।

 

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