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Rajat Sharma's Blog: यूरोपीय संघ के सांसदों के कश्मीर दौरे का महत्व

यूरोपियन यूनियन के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल आज कश्मीर घाटी के दौरे पर गया हुआ है। यह दल वहां के हालात का जायज़ा लेगा। भारत सरकार ने इन सांसदों को वहां जाने की इजाज़त दी है और इसे कश्मीर नीति में एक खास बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

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यूरोपियन यूनियन के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल आज कश्मीर घाटी के दौरे पर गया हुआ है। यह दल वहां के हालात का जायज़ा लेगा। भारत सरकार ने इन सांसदों को वहां जाने की इजाज़त दी है और इसे कश्मीर नीति में एक खास बदलाव का संकेत माना जा रहा है। 

यूरोपियन सांसदों ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से कश्मीर के मौजूदा हालात पर बातचीत की। कश्मीर में इस साल 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐलान हुआ था, संसद ने उस पर मुहर लगायी थी और घाटी में बड़े पैमाने पर पाबंदियां लगा दी गयी थी। इसी क्रम में विदेशी सांसदों का पहला दल कश्मीर जा रहा है। यह स्पष्ट किया गया है कि इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड के सांसद 'अपनी निजी हैसियत से' कश्मीर का दौरा कर रहे हैं। 
 
यह यात्रा कश्मीर घाटी की सही तस्वीर दुनिया के सामने लाने की भारत की मंशा जाहिर करती है। कुछ भारतीय राजनेताओं ने सवाल उठाया है कि विदेशी नेताओं को कश्मीर मुद्दे हस्तक्षेप क्यों करने दिया जा रहा है जबकि यह पूर्णत: भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है।

मुझे लगता है कि इस तरह की कूटनीति से दुनिया भर में पाकिस्तानी दुष्प्रचार को सीधा और खुला जवाब मिलेगा । जब भारत के पास कश्मीर में छिपाने को कुछ नहीं है, हालात धीरे धीरे सामान्य़ हो रहे हैं, तो फिर यूरोप के सांसदों को या फिर किसी और जगह से आए सांसदों को वहां ले जाने मे क्या बुराई है।

जहां तक कश्मीर में हालात के सामान्य होने का सवाल है,  कश्मीर में हालात अभी सामान्य तो नहीं हैं, लेकिन कश्मीर में हालात पिछले 30 साल से खराब हैं। अब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है। अच्छा होगा कि पूरी दुनिया इस रोशनी को देखे।
 
ये सही है कि कश्मीर में अभी भी पाबंदियां हैं। लोगों के पास इंटरनेट नहीं है। कई ऐसे इलाके हैं जहां पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है लेकिन ये भी सोचना चाहिए कि घाटी में हालात धीरे धीरे बेहतर हुए हैं। अब लोगों को टेलीफोन सेवाएं उपलब्ध हैं, सड़कों पर ट्रैफिक सामान्य है। जब भी फौज या पुलिस में भर्ती की बात आती है तो हजारों की संख्या में कश्मीर के नौजवान इम्तिहान देने आते हैं।

जहां तक पाबंदियों की बात है, इस तरह के कदमों का ही नतीजा है कि कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आम लोगों पर एक भी गोली नहीं चलाई। किसी आम कश्मीरी के खून का एक कतरा तक नहीं बहा। इसीलिए कुछ और इंतजार की जरुरत है और ये भी समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान से आए आतंकवादी कश्मीर में दहशत फैलाने की कोशिश करेंगे। धैर्य और सावधानी वक्त का तकाज़ा है।

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