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Rajat Sharma's Blog: अमित शाह ने पवार और उद्धव ठाकरे को यूं दी मात

सूबे के राजनीतिक हालात अभी भी तेजी से बदल रहे हैं, और ऐसे में सभी की नजरें अब महाराष्ट्र की विधानसभा पर होंगी, जहां मुख्यमंत्री को अपना बहुमत साबित करना होगा।

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कहते हैं कि मोहब्बत, जंग और सियासत में कुछ भी मुमकिन है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने शुक्रवार को घोषणा की कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अगले 5 साल तक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे। पवार की इस घोषणा के बाद शिवसेना के खेमे में जश्न का माहौल था।

शनिवार की सुबह सभी अखबारों की सुर्खियों में उद्धव  के सीएम होने की खबरें छाई हुई थी, लेकिन शुक्रवार की रात मुंबई में घटनाक्रम तेजी से और बेहद ही गुप्त तरीके से बदल रहा था। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने गए थे। इसके बाद सुबह आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन को खत्म कर दिया गया और राज्यपाल ने बतौर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को शपथ दिला दी।

इस घटना से कांग्रेस खेमा सन्न रहा गया। पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया कि उन्हें पहले लगा कि यह एक फर्जी खबर है, लेकिन जैसे-जैसे वास्तविकता सामने आई, वह भी चौंक गए। एनसीपी खेमे में पूरी तरह से भ्रम की स्थिति थी, कई विधायकों ने दावा किया कि वे अपने सुप्रीमो शरद पवार के साथ हैं, न कि उनके भतीजे अजीत पवार के साथ।

दोपहर में शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि तीनों दलों, एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या बल है, और उनके भतीजे ने उनकी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ काम किया है। शरद पवार ने दावा किया कि 54 में से बमुश्किल 11 विधायक उनके भतीजे के साथ हैं, और उन 11 में से भी 3 पार्टी के पाले में लौट आए हैं। उनके सहयोगियों ने आरोप लगाया कि अजीत पवार ने विधायकों द्वारा दावा पेश करने के लिए उन्हें दिए गए समर्थन पत्र का ‘दुरुपयोग’ करते हुए खाली जगह पर ‘बीजेपी’ का नाम लिख दिया।

सूबे के राजनीतिक हालात अभी भी तेजी से बदल रहे हैं, और ऐसे में सभी की नजरें अब महाराष्ट्र की विधानसभा पर होंगी, जहां मुख्यमंत्री को अपना बहुमत साबित करना होगा। बता दें कि अजीत पवार ने बीजेपी से हाथ अचानक नहीं मिलाया। गठबंधन सरकार बनाने के लिए उनके और बीजेपी नेताओं के बीच गुप्त बातचीत चल रही थी, और यह अजित ही थे जो पिछले एक महीने से उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन के लिए हिचक रहे थे।

अंत में बाजी बीजेपी के चीफ अमित शाह के हाथ ही लगी। आधी रात को हुआ यह पोलिटिकल ड्रामा एक राजनीतिक 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसा लग रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बीजेपी को पटखनी देना चाहते थे लेकिन अमित शाह ने उन्हें मात दे दी।  (रजत शर्मा)

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