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Hindi News भारत राष्ट्रीय पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं: हाईकोर्ट

पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं: हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति थॉमस ने 18 नवंबर को जारी आदेश में कहा, ''मेरा मानना है कि पर्सनल लॉ के तहत मुसलमानों के बीच शादी पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं है। यदि विवाह के पक्षों में से एक नाबालिग है, तो विवाह की वैधता या अन्य तथ्यों पर ध्यान दिए बिना, पॉक्सो कानून के तहत अपराध लागू होंगे।''

Kerala High Court- India TV Hindi Image Source : PTI Kerala High Court

केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून से बाहर नहीं रखा गया है और शादी की आड़ में बच्चे से शारीरिक संबंध बनाना अपराध है। अदालत ने 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का कथित रूप से अपहरण और गर्भवती करने के आरोप में 31 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसका दावा है कि उसने शादी कर ली थी। न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने जमानत याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है और पॉक्सो कानून शादी की आड़ में बच्चे से शारीरिक संबंधों पर रोक लगाने के लिए है। 

पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं पर्सनल लॉ

न्यायमूर्ति थॉमस ने 18 नवंबर को जारी आदेश में कहा, ''मेरा मानना है कि पर्सनल लॉ के तहत मुसलमानों के बीच शादी पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं है। यदि विवाह के पक्षों में से एक नाबालिग है, तो विवाह की वैधता या अन्य तथ्यों पर ध्यान दिए बिना, पॉक्सो कानून के तहत अपराध लागू होंगे।'' उच्च न्यायालय पश्चिम बंगाल के निवासी खालिदुर रहमान द्वारा दायर एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने दावा किया कि लड़की उसकी पत्नी है, जिससे उसने 14 मार्च, 2021 को मुस्लिम लॉ के अनुसार शादी की थी। रहमान ने दावा किया कि पॉक्सो कानून के तहत उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि मुस्लिम लॉ 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है। 

16 साल की बच्ची से किया था शादी

यह मामला तब सामने आया, जब पथनमथिट्टा जिले के कवियूर में एक परिवार स्वास्थ्य केंद्र ने पुलिस को सूचित किया, जब पीड़िता अपनी गर्भावस्था के कारण इंजेक्शन के लिए वहां गई थी। आधार कार्ड से पीड़िता की उम्र 16 साल होने का पता चलने पर चिकित्सा अधिकारी ने 31 अगस्त 2022 को पुलिस को सूचित किया। अदालत ने कहा, ''बच्चे के खिलाफ हर तरह के यौन शोषण को अपराध माना जाता है। विवाह को कानून के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है।'' अदालत ने कहा कि सामाजिक सोच में बदलाव और प्रगति के परिणामस्वरूप पॉक्सो कानून बनाया गया है।

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