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Hindi News भारत राष्ट्रीय President Election 2022: कैसे होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव? यहां जानिए पूरी प्रक्रिया

President Election 2022: कैसे होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव? यहां जानिए पूरी प्रक्रिया

President Election 2022: मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को काउंटिंग होगी।

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Highlights

  • राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी
  • राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की काउंटिंग 21 जुलाई को होगी
  • राज्यों के विधानसभा और संसद भवन में होगी वोटिंग

President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कर 18 जुलाई को वोटिंग होगी। वहीं 21 जुलाई को काउंटिंग होगी। वोटिंग राज्यों के विधानसभा और संसद भवन में होगी। सांसदों के लिए संसद भवन के प्रथम तल पर कमरा नं- 63 में वोटिंग के लिए बूथ बनाए गए हैं जिनमें से एक बूथ फिजिकल चैलेंज्ड के लिए है। इसके लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। बता दें कि वोटिंग बैलेट पेपर से की जाएगी। सांसदों को बैलट पेपर पर राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम के आगे अपनी वरीयता दर्ज करना होगा। वोटिंग की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए बैलेट पेपर सीरियल नंबर की बजाए रैंडम तरीके से दिए जाएंगे। राष्ट्रपति चुनाव में 9 विधायक संसद भवन में करेंगे वोटिंग जबकि लगभग 42 सांसद विभिन्न राज्यों के विधानसभा में वोटिंग करेंगे। 

संसद में वोट करने वाले विधायकों की संख्या

UP से 4 MLA  

असम से 1 MLA 

हरियाणा से 1 MLA

उड़ीसा से 1 MLA

त्रिपुरा से 2 MLA

NDA उम्मीदवार के समर्थन ये पार्टियां शामिल

भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। मुर्मू के समर्थन में जेडीयू, हम, लोजपा, अकाली दल, बसपा, तेदेपा, वाईएसआरसीपी, बीजद, शिवसेना और झामूमो हैं। महाराष्ट्र में सत्ता बदलने के बाद शिवसेना के सांसदों की जिद्द के आगे उद्धव ठाकरे को आखिर में झुकना पड़ा और उद्धव ने दौ्रपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया। झामूमो भी धर्म संकट में फंसी हुई थी कि वह देश की होने वाली पहली आदिवासी महिला को समर्थन दे या विपक्ष के साथ अपना गठबंधन धर्म निभाए। बाद में झामूमो के तरफ से भी यह बिल्कुल साफ हो गया कि पार्टी राष्ट्रपति के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को ही अपना समर्थन देगी। कुल मिलाकर चुनाव में NDA उम्मीदवार का पलड़ा भारी है।

विपक्ष उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की दावेदारी कितनी मजबूत

विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा गया है। लेकिन कुछ विपक्षी दल का साथ नहीं मिलने से उनकी स्थिति थोड़ी कमजोर दिखाई पड़ रही है। मुख्य रुप से उनके समर्थन में कांग्रेस, सपा, राजद, एनसीपी, टीएमसी, द्रमुक, टीआरएस, आप और वामदल है। यशवंत सिन्हा की दावेदारी को लेकर यह कहा जा सकता है कि उनकी जीत एक बहुत बड़ा उलटफेर साबित हो सकता है।

कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव

राष्ट्रपति चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी नहीं होती है बल्कि जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले यानी सांसद और विधायक वोटिंग करते हैं। इन सांसदों और विधायकों में भी जो मनोनित सांसद या विधायक हैं वे मतदान नहीं कर सकते, क्योंकि वे सीधे जनता द्वारा चुनकर सदन में नहीं आते हैं। 

  • इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है राष्ट्रपति चुनाव
  • लोकसभा-राज्यसभा के कुल 776 सदस्य करते हैं वोटिंग
  • राज्य विधानसभाओं के 4,809 विधायक भी करते हैं मतदान
  • लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का मू्ल्य समान होता है 
  • विधायकों के वोटों का मूल्य (वेटेज) अलग-अलग होता है
  • राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है वेटेज

इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है राष्ट्रपति चुनाव

राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा कुल 776 सदस्य और विधानसभाओं के 4,809 सदस्य शामिल होते हैं। इन सभी के वोटों का मूल्य या वेटेज अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के वोटों का वेटेज एक होता है जबकि विधानसभा के सदस्यों का अलग वेटेज होता है। दो राज्यों के विधायकों का वेटेज भी अलग-अलग होता है। इसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं। 

विधायकों के वोट का मूल्य 

विधायकों का मूल्य ( वेटेज ) राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। राज्य की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है और फिर उसे एक हजार से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो अंक मिलता है वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। एक हजार से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेजेट में एक जोड़ दिया जाता है। 

सांसदों के वोट का मूल्य

सांसदों के वोटों के वेटेज का अलग हिसाब है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं निर्वाचित सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।

वोटिंग के लिए खास पेन

मतदान के दौरान बैलेट पेपर पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और मतदाता को अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखना होता है। यह नंबर लिखने के लिए के लिए चुनाव आयोग एक विशेष पेन उपलब्‍ध कराता है। यदि यह नंबर किसी अन्‍य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्‍य हो जाता है। 

कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त करना जरूरी

राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता नहीं घोषित किया जाता है बल्कि विजेता वह होता है जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेता है। राष्ट्रपति चुनाव में पहले से ही यह तय होता है कि जीतने के लिए कितने वोटों की जरूरत होगी। इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है। तो जीत के लिए उम्मीदवार को कुल 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे । जो प्रत्याशी वेटेज हासिल कर लेता है वह राष्ट्रपति चुन लिया जाता है।

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