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Hindi News भारत राष्ट्रीय बिलकिस बानो केस में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सरेंडर के लिए नहीं मिलेगा और समय

बिलकिस बानो केस में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सरेंडर के लिए नहीं मिलेगा और समय

साल 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बाने को साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी की गई थी।

बिलकिस बानो।- India TV Hindi Image Source : ANI बिलकिस बानो।

बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषियों को सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि कुछ ही दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। दोषियों को 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करने को कहा गया था लेकिन 3 दोषियों ने सरेंडर करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। 

सरकार ने किया था रिहा 

गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए। इस दौरान बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म किया गया। इस मामले में गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया गया था। हालांकि, 8 जनवरी को इस मामले के 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और दो सप्ताह के अंदर ही दोषियों को जेल भेजने का निर्देश दिया था। 

जानें पूरा मामला

साल 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बाने को साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी की गई थी। इसी मामले में 11 दोषियों की सजा में राज्य सरकार ने कटौती की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए नया आदेश जारी किया था। पीठ ने कहा था कि सजा में छूट का गुजरात सरकार का आदेश बिना सोचे समझे पारित किया गया।

गुजरात सरकार को नहीं था रिहाई का अधिकार

दोषियों की सजा को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिस राज्य में किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसे ही दोषियों की सजा में छूट संबंधी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होता है। दोषियों पर महाराष्ट्र द्वारा मुकदमा चलाया गया था। पीठ ने कहा, ‘हमें अन्य मुद्दों को देखने की जरूरत नहीं है। कानून के शासन का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि गुजरात सरकार ने उन अधिकारों का इस्तेमाल किया, जो उसके पास नहीं थे और उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। 

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