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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र अक्षय नवमी को करें आंवला वृक्ष की पूजा, होगी संतान की प्राप्ति

अक्षय नवमी को करें आंवला वृक्ष की पूजा, होगी संतान की प्राप्ति

नई दिल्ली:  हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहते हैं। पौराणिक मान्याओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक

अक्षय नवमी को ब्रह्म मुहूर्त में सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और पूरे विधि-विधान के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले अपने दाहिनें हाथ में अक्षत, जल, फूल लेकर इस व्रत का संकल्प इस मंत्र के अनुसार करें-

अद्येत्यादि अमुकगोत्रोमुक (अपना गोत्र बोलें) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा
श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये।

इसके बाद आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दुशा की ओर मुख करके बैठे षोडशोपचार का पूजन इस मंत्र से करें- ऊं धात्र्यै नम:
इसके बाद आंवला के वृक्ष की जड़ की पूजा करें। इसके लिए एक लोटे में दूध लेकर धारा बनाते हुए जड़ में डालते हुए पितरों का तर्पण करें-

पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।
ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।
आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।
ते पिवन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।

इसके बाद आंवले के पेड़ के तने में लाल रंग का धागा बांधते हुए इस मंत्र को बोलें

दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।
सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।

इसके बाद आंवले के वृक्ष की धूप और दीपक जलाकर आरती करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष कम से कम 108 बार परिक्रमा इस मंत्र के साथ करें-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें अपने अनुसार दक्षिणा दें। दान में धन, वस्त्र, स्वर्ण, भूमि, फल, अनाज आदि देना चाहिए। अगर आप पितरों की शांति चाहते तो इस दिन ब्राह्मणों को ऊनी कपड़े दें। इससे आपको अधिक लाभ मिलेगा।

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