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गोवर्धन पूजा हो या अन्नकूट पूजा, इन बातों का रखें ख्याल तभी मिलेगा शुभ समाचार

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के लिए की जाती है। वहीं दूसरी तरफ अन्नकूट का मतलब होता है अनाज का पहाड़।

<p>अन्नकूट पूजा 2018</p>- India TV Hindi अन्नकूट पूजा 2018

नई दिल्ली: गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के लिए की जाती है। वहीं दूसरी तरफ अन्नकूट का मतलब होता है अनाज का पहाड़। भगवत पुराण के मुताबिक विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है। साथ ही इस दिन भगवान को बहुत से प्रकार के पकवान, मिठाई आदि का भगवान को भोग लगाया जाता है। 

दिवाली के अगले दिन अन्नकूट पूजा होती है। जिसे गोवर्धन पूजा के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। अन्नकूट पूजा दिवाली के एक दिन बाद यानी ठीक दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस बार अन्नकूट पूजा 8 नवंबर को मनाई जाएगी। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। अन्नकूट पूजा के पर्व पर अन्न का विशेष महत्व है। इस पर्व पर कई तरह के खाने, मिठाई, पकवान यानी छप्पन भोग बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। दिवाली के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। वर्धन पूजा के दिन अन्नकूट की सब्जी बनाई जाती है। क्योंकि गोवर्धन पूजा में अन्नकूट की सब्जी और पूरी का प्रसाद बना कर चढ़ाया जाता है। इस समय जो भी नई सब्जियां बादार में मिलती हैं सभी सब्जियों को मिलाकर सब्जी का प्रसाद तैयार किया जाता है। कन्नकूट की सब्जी बनाने के लिए सभी तरह की सब्जीयों को थोड़ा- थोड़ा खरीद लाएं। उसके बाद सभी सब्जियों को मिलाकर कर पका लें। गोवर्धन पूजा में और घर के मंदिर इस सब्जी का भोग लगाएं। 

क्यों पड़ा पर्व का नाम अन्नकूट 
दरअसल अन्नकूट पर्व पर तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा का विशेष विधान है। इस शब्द का मतलब ही होता है अन्न का समूह। जिसकी वजह से इस त्यौहार को अन्नकूट पर्व के नाम से जानते हैं। श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों, पकवानों से भगवान का भोग लगाते हैं। मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरूआत हुई। एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर  उठा लिया था। बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी। कहा जाता है कि उस दिन के बाद से गोवर्धन की पूजा शुरू हुई। जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है।

गोवर्द्धन और अन्नकूट पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 7 नवंबर 2018 को रात 09 बजकर 31 मिनट से। 
प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 8 नवंबर 2018 को रात 09 बजकर 07 मिनट तक। 
गोवर्द्धन पूजा का प्रात: काल मुहूर्त: 08 नवंबर 2018 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक।
गोवर्द्धन पूजा का सांयकालीन मुहूर्त: 08 नवंबर 2018 को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 41 मिनट तक।   
गोवर्द्धन पूजा की विधि 
 गोदवर्द्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
अब अपने ईष्‍ट देवता का ध्‍यान करें और फिर घर के मुख्‍य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाएं। 
अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं। गोवर्द्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं।
अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। 
अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहें: 
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव: ।।
अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्‍हें स्‍नान कराकर उनका श्रृंगार करें। फिर उन्‍हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं। अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है। 
अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें इस मंत्र का उच्‍चारण करें 
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।
इसके बाद गोवर्द्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें। 
जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्द्धन पर्वत का मर्दन कराएं । यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें। 
पूजा के बाद पर्वत की सात परिक्रमाएं करें।
इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्‍णु की पूजा और हवन भी किया जाता है।

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