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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Bakrid 2017: जानिए, आखिर बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरे की 'कुर्बानी', ये है इसके पीछे का सच

Bakrid 2017: जानिए, आखिर बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरे की 'कुर्बानी', ये है इसके पीछे का सच

Bakrid 2017: इस्लाम में एक साल में दो तरह ईद की मनाई जाती है। एक ईद जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी बकरीद। इस बकरीद में बकरें की कुर्बानी दी जाती है। जानिए इसके पीछे का क्या है सच और क्या सीख देती है बकरीद..

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धर्म डेस्क: ईद-उल-ज़ुहा या बकरीद का दिन फर्ज़-ए-कुर्बान का दिन होता हैं। आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं। मुस्लिम समाज में बकरे को पाला जाता है और अपनी हैसियत के अनुसार उसकी देख रेख की जाती हैं और जब वो बड़ा हो जाता हैं उसे बकरीद के दिन अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं जिसे फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता हैं। इस बार बकरीद 2 सितंबर, शनिवार को पड़ रही है।  इस दिन  बकरे की ही कुर्बानी नहीं दी जाती है बल्कि भैंस तो कहीं कहीं ऊंट की भी कुर्बानी दी जाती है। जानिए आखिर क्यों दी जाती बकरे की कुर्बानी, क्या है इसके पीठे का सच।

इस कारण दी जाती है बकरे की कुर्बानी
बकरे की कुर्बानी देने के पीछे एक ऐतिहासिक तथ्य छिपा हुआ हैं जिसमे कुर्बानी की ऐसी दास्तान हैं जिसे सुनकर ही दिल कांप जाता हैं। हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। हजरत इब्राहिम को लगा कि उन्हें सबसे प्रिय तो उनका बेटा है इसलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया।

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर बकरे और मेमनों की बलि देने की प्रथा है।

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