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श्रीमद्भगवद्‌गीता के श्लोक, जिनसे सीखें लाइफ मैनेजमेंट

नई दिल्ली: श्रीमद्भगवद्‌गीता हिंदू धर्म के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में श्री कृष्ण ने गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में

विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।
निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन में किसी भी प्रकार की इच्छा व कामना को रखकर व्यक्ति को कभी भी शांति प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिए खुद को शांत करने के लिए सबसे पहले अपने मन से इच्छाओं को मिटाना होगा।

हम जो भी कर्म करते हैं, उसके साथ अपने अपेक्षित परिणाम को साथ में चिपका देते हैं। अपनी पसंद के परिणाम की इच्छा हमें कमजोर कर देती है। वो ना हो तो व्यक्ति का मन और ज्यादा अशांत हो जाता है। मन से ममता अथवा अहंकार आदि भावों को मिटा दें तभी आपको शांति मिलेगी।

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