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Kamada Ekadashi 2021: कामदा एकादशी आज, संतान प्राप्ति के लिए इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजा

प्रत्येक साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत करने का विधान है। कुछ पुराणों के अनुसार कामदा एकादशी को उपवास करने से श्रेष्ठ संतान प्राप्त होती है।

Kamada Ekadashi 2021: 4 अगस्त को कामदा एकादशी, संतान प्राप्ति के लिए इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूज- India TV Hindi Image Source : INSTRAGRAM//LORDVISHNU_SE Kamada Ekadashi 2021: 4 अगस्त को कामदा एकादशी, संतान प्राप्ति के लिए इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजा

श्रावण कृष्ण पक्ष की उदया तिथि एकादशी और बुधवार का दिन है। इसके साथ ही पूरा दिन पार कर भोर के समय 4 बजकर 25 मिनट तक मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। प्रत्येक साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत करने का विधान है।

कुछ पुराणों के अनुसार कामदा एकादशी को उपवास करने से श्रेष्ठ संतान प्राप्त होती है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार एकादशी कृष्ण पक्ष की एकादशी है और हेमाद्रि के अनुसार जिनको पहले से पुत्र हो, उन्हें कृष्ण पक्ष की एकादशी पर उपवास नहीं करना चाहिए। एकादशी का व्रत नित्य और काम्य दोनों है। नित्य का मतलब है, जो व्रत ग्रहस्थ के लिये करना जरूरी हो और काम्य व्रत का मतलब है जो किसी वांछित वस्तु की प्राप्ति के लिये किया जाये।

कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ: 3 अगस्त दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 4 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 17 मिनट तक

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कामदा एकादशी की पूजा विधि

ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।

इस दौरान 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।

एकादशी व्रत दो दिनों तक होता है लेकिन दूसरे दिन की एकादशी का व्रत केवल सन्यासियों, विधवाओं अथवा मोक्ष की कामना करने वाले श्रद्धालु ही रखते हैं। व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिए लेकिन हरि वासर में व्रत नहीं खोलना चाहिए और मध्याह्न में भी व्रत खोलने से बचना चाहिये।  अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो सूर्योदय के बाद ही पारण करने का विधान है।

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