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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र भाद्रपद माह की अष्टमी के कृष्ण पक्ष में ही क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए

भाद्रपद माह की अष्टमी के कृष्ण पक्ष में ही क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए

आप यह बात हमेशा सोचते होगे कि आखिर श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद काल के रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी में ही क्यों होता है। और किसी काल या नक्षत्र या दिन में क्यों नही पडता है। इस बारें में अधिक जानकारी हमारें पुराणो में मिलती है। जानिए इसके पीछे का कारण क्य

lord krishna

जन्म के समय इस रुप में थे श्री कृष्ण
भगवान कृष्ण जन्म के समय कैसे थे। इसमें अपनी-अपनी धारणा है। इस बारें में सब आचार्य अपने-अपने मत देते है, लेकिन शास्त्रों में इस बारें में सटिक बताया गया हैं। इस बारें में अच्छी तरह वर्णन श्री भगवतपुराण के एक स्कंध में किया गया है जो इस प्रकार है।

तमद्भुंत बालकमभ्बुनेक्षणं चतुर्भुज शंखगदार्युदायुधम्।
श्री वत्सस्एमं गलशोभि कौस्तुभं प्रीताम्बरं सान्द्रपयोछ् सौभ्रगम्।।
महादेवैदूर्य किरीट कुण्डल-त्विषा परिण्वक सहस कुन्तलम्
उदाय काञ्च्यंग दंक कणो दिवि- विरोच मानं वसुदेव ऐक्षत।।

इस स्कंध के अनुसार माना जाता है कि जब कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था उस समय कंस की कारगार जहां पर देवकी नें कृष्ण भगवान को जन्म दिया था। वह जगह पूर्ण रुप से प्रकाशमय हो गई थी। जब कृष्ण का अवतार हुआ उस समय देवी-देवता स्वर्ग से फूलों की वर्षा और धीमी बारिश हो रही थी।

कृष्ण भगवान का अवतार सौलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा के समान लग रहा था जैसे कि धरती में पूर्णिमा का चांद उतर आया हो।  देवकी ने देखा कि अनके सामनें एक अद्भुत बालक है जिसकी आंखे कमल की तरह कोमल और जिसकी चार-चार भुजाए. शंख, गदा और कमल का फूल लिए हुए है। साथ ही जिसकी छाती में श्री वत्स का निशान भी है। जिनके केश सुंदर घुघरालें मानो जैसे कि सूर्य की किरणें चमक रही हो। शरीर की हर भुजा में पहनें हुए आभूषण उन्हें शोभामान कर रहे थे। यह धचना देवकी के लिए अनोखी थी।

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