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जानें रावण वध के बाद क्यों किया भगवान राम ने पश्चाताप?

आज देश भर में रामनवमी मनाई जा रही है। ये वो दिन है जब भगवान राम का जन्म हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम के जीवन में बहुत सी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं

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आज देश भर में रामनवमी मनाई जा रही है। ये वो दिन है जब भगवान राम का जन्म हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम के जीवन में बहुत सी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई थीं? उन्हें अपने राज्य से बाहर जाना पड़ा, 14 बरस का वनवास झेलना पड़ा जो कठिनाईयों से भरा था। और फिर उनकी पत्नी सीता का रावण ने हरण कर लिया जिससे राम बहुत चिंतित और दुखी हो गए थे लेकिन फिर उन्होंने दक्षिण भारत पहुंचकर एक सेना तैयार की और श्रीलंका पहुंच कर युद्ध लड़ा और रावण का वध किया।

रावण के दस सिर थे और उसे मारने के लिए भगवान राम को सभी दस सिर काटने पड़े थे। युद्ध जीतने के बाद राम बोले, ‘मैं हिमालय जाकर प्रायश्चित करना चाहता हूं, क्योंकि मैंने एक गलत काम किया है। मैंने एक ऐसे मनुष्य को मार दिया जो महान शिव भक्त था, एक विद्वान था, एक महान राजा था और दानवीर था।’

ज़ाहिर है ये सब सुनकर सबको बहुत आश्चर्य हुआ और राम के भाई लक्ष्मण ने पूछा कि आप क्यों पश्चाताप करेंगे, उसने आपकी पत्नी का हरण किया था’। तो राम बोले, ‘उसके दस सिरों में एक सिर ऐसा था जिसमें बहुत ज्ञान था, पवित्रता और भक्ति थी। उसी सिर को काटने का पश्चाताप है मुझे’।

राम का अभिप्राय था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रावण ने कितने बुरे काम किए हैं, उसमें एक ऐसा व्यक्ति था जो ज़बरदस्त संभावना से भरा था। राम ने ऐसे मनुष्य को मारने का प्रायश्चित्त किया जिसने उनकी पत्नी का हरण किया था, और कई सारे बुरे काम किये थे। फिर भी राम ने रावण के इस सिर को पहचाना जो कि सुंदर था। राम एक जबरदस्त बोध वाले मनुष्य हैं, और इसी लिए इनकी पूजा की जाती है। वे अपने जीवन में कई सारी चीज़ों में विफल हुए, पर उनकी विफलता ने कभी उनके बोध और गुणों को नहीं बदला। जीवन ने उनके साथ चाहे जो भी किया, वे हमेशा उससे ऊपर रहे।

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